गुरुवार, नवंबर 06, 2008

भिण्‍ड हथियारबंद सुरक्षा वाला नहीं बनेगा चुनाव एजेंट मंत्री, सांसद, विधायक भी ज़द में चुनाव आयोग का फैसला

भिण्‍ड हथियारबंद सुरक्षा वाला नहीं बनेगा चुनाव एजेंट मंत्री, सांसद, विधायक भी ज़द में चुनाव आयोग का फैसला

भिण्ड : 05 नवंबर, 2008


 कलेक्टर  एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री सुहेल अली ने कहा कि चुनाव में कोई भी हथियारबंद सुरक्षा हासिल व्यक्ति किसी भी उम्मीदवार का किसी भी रूप में एजेंट नहीं बन सकेगा। चुनाव आयोग के इस फैसले की ज़द में केन्द्र या राज्य के मंत्रियों समेत ऐसे सभी सांसद, विधायक या अन्य व्यक्ति शामिल होंगे जिन्हें राज्य या केन्द्र सरकारों द्वारा हथियारबंद सुरक्षा का कवच मुहैया कराया गया है।

इस बारे में आयोग ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 और आर्म्स एक्ट 1959 का हवाला देते हुए साफ किया है कि रिटर्निंग अफसर, प्रिजाइडिंग अफसर, पुलिस अफसर या अन्य कोई जो मतदान केन्द्र पर शांति-व्यवस्था बनाए रखने के लिए डयूटी पर तैनात है, इनके अलावा किसी और को मतदान वाले दिन किसी भी तरह के हथियार के साथ पोलिंग बूथ के करीब फटकने की इजाजत नहीं होगी। इस बारे में माना यह गया है कि हथियारों के साथ निर्वाचन क्षेत्रों और खासकर वोट डालने वाले दिन मतदान केन्द्रों के करीब आवाजाही करने वाले लोग न सिर्फ मतदाताओं, मतदान-कर्मचारियों और अन्य आम लोगों को भयभीत या आतंकित कर सकते हैं, बल्कि हिंसा की ओर भी प्रवृत्त हो सकते हैं। इसके चलते आग्नेयशास्त्रों का दुरुपयोग या इनका दुर्घटनापूर्ण उपयोग कानून और व्यवस्था में दिक्कतें खड़ी कर सकता है। ये चीजें निष्पक्ष, स्वतंत्र और शांतिपूर्ण चुनाव के लिए घातक हैं।

आयोग ने इस पर भी गौर किया है कि कुछ उम्मीदवार मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और विधान परिषद के सदस्यों को अपना चुनाव, मतदान या मतगणना एजेंट नियुक्त कर देते हैं। अक्सर इन लोगों को राज्य या सुरक्षा एजेंसियों द्वारा सुरक्षा कवच दिया जाता है। बीते समय में कई मौकों पर रिटर्निंग अफसरों को ऐसे आवेदन भी उपरोक्त लोगों से मिले जिनमें यह आग्रह किया गया था कि वे उम्मीदवार का एजेंट बनने की खातिर अपना सुरक्षा कवच छोड़ना चाहते हैं। इस बारे में आयोग ने रिटर्निंग अफसरों को सचेत किया है कि इन व्यक्तियों को जिन कारणों से सुरक्षा मिली है उसके मद्देनज़र उन्हें जानबूझकर अपनी सुरक्षा को खतरे में डालने की इजाजत भी नहीं दी जा सकती।

आयोग ने इन सारे तथ्यों के मद्देनज़र फैसला किया है कि अब से केन्द्र या राज्य सरकारों का कोई भी मौजूदा मंत्री, सांसद, विधायक या विधान परिषद का सदस्य या अन्य कोई व्यक्ति जिन्हें हथियारबंद सुरक्षा मिली हुई है उन्हें चुनाव एजेंट के बतौर काम करने की इजाजत नहीं होगी। इसी तरह इन्हें चुनाव के दौरान उम्मीदवार के हक में एजेंट बनने के लिए अपना सुरक्षा कवच भी छोड़ने नहीं दिया जाएगा। इस फैसले पर अमल के लिए सभी संबंधित अफसरों को इप्तेला कर दी गई है।

 

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