बुधवार, सितंबर 09, 2009

शनि का ग्रह परिवर्तन, भावी परिवर्तन और उथल पुथल का तेज संकेत 9 सितम्‍बर को शनि का सिंह राशि से कन्‍या राशि में प्रवेश

शनि का ग्रह परिवर्तन, भावी परिवर्तन और उथल पुथल का तेज संकेत

9 सितम्‍बर को शनि का सिंह राशि से कन्‍या राशि में प्रवेश

नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''

कर्क राशि के जातक पिछले सात आठ साल से झेल रहे शनि की साढ़े साती से 9 सितम्‍बर 09 को अंतत: मुक्‍त हो जायेंगें, तथा तुला राशि पर साढ़े साती चालू हो जायेगी । दरअसल सबसे धीमी चाल तेज तासीर और असर वाले शनिदेव 9 सितम्‍बर 2009 को राशि बदल कर सिंह राशि से कन्‍या राशि में प्रवेश करेंगे ।

शनिदेव की विशेषता है कि वे जिस राशि में होते हैं उससे एक राशि आगे और एक राशि पीछे तक अपना असर विस्‍तारित कर रखते हैं । शनिदेव यूं तो गणितीय तौर पर एक राशि पर सामान्‍यत: ढाई साल तक विद्यमान रह कर गोचर करते हैं , किन्‍तु व्‍यावहारिक रूप से ऐसा कम ही होता है, शनिदेव अपनी वक्री व अतिचारी चाल से चलते कई बार वर्तमान राशि से पीछे की राशि तक चले जाते हैं परिणाम स्‍वरूप कभी कभी एक ही राशि पर तीन से साढे तीन चार साल तक टिके रहते हैं । शनि की वक्री चाल अक्‍सर हर साल आती है शायद ही कुछ अपवाद स्‍वरूप एकाध साल होता है जब शनि देव वक्री गति से नहीं चलते फलस्‍वरूप कभी कभी जितना आगे जाते है, उससे कहीं अधिक पीछे चले जाते हैं ।

शनिदेव की साढ़े साती से अक्‍सर लोग भरी भयभीत व आतंकित रहते हैं लेकिन ऐसा नहीं है, कुछ लोग सबसे अधिक फायदा शनि की साढ़े साती में ही उठाते हैं । उदाहरण के तौर पर जब पिछली बार वृश्चिक और तुला पर साढ़े साती आयी थी तो रोमानिया नामक देश के अतुलनीय वैभव से युक्‍त सम्राट निकोलाई चाऊशेस्‍कू की सपरिवार सार्वजनिक दण्‍ड स्‍व्‍ारूप हत्‍या कर जनता ने उनके महल पर कब्‍जा कर लिया और उनके लगभग पौन सदी के राज्‍य का खात्‍मा कर दिया । रूस पर उसी समय समस्‍यायें टूटना शुरू हो गयीं । एन.टी.रामाराव जैसे नेता ने इन्‍हीं दिनों में काफी संकट झेले अंतत: उनका स्‍वर्गवास भी हो गया ।  

इसक बाद कुम्‍भ व मकर पर साढ़े साती लगते ही सोमालिया में हालात इतने बदतर हो गये कि भुखमरी में कई लोग अपने ही बच्‍चों को मार कर उनका मॉंस खने जैसी खबरों से लोगों के दिल हिल गये वहीं उसी दरम्‍यान इसी साढ़े साती के काल में ''सोवियत संघ'' जैसी विश्‍व महाशक्ति का विखण्‍डन होकर नक्‍शा ही मिट कर अस्तित्‍व समाप्‍त हो गया और एक चक्रवर्ती वैभवशाली साम्राज्‍य टुकड़ों में टूटकर तिनका तिनका बिखर कर एक कमजोर राष्‍ट्र मात्र बन कर रह गया ।

मीन राशि की साढ़ेसाती में कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह म.प्र. कांग्रेस के प्रदेश अध्‍यक्ष बने और इसी साढ़े साती के दरम्‍यान ही वे म.प्र. के मुख्‍यमंत्री भी बने ।

मीन की साढ़े साती के साथ ही अगली राशि मंगल के स्‍वामित्‍वाधीन मेष पर साढ़े साती का चरण चालू होते ही देश में भरी राजनीतिक उथलपुथल हुयी । और मेष राशि की कई हस्तियां जहॉं अचानक धरती से उठकर आसमान चूम गयीं वहीं आसमान में व्‍याप्‍त कई सितारे धरती पर मुँह के बल आ गिरे और कई संकटो व जंजालों में फंस गये ।

मेष राशि के इन्‍द्र कुमार गुजराल प्रधनमंत्री बन गये, लालकृष्‍ण आडवाणी, अटल बिहारी, उमाभारती जैसे लोग इसी दरम्‍यान गर्दिशों से निकल कर चर्चाओं में आ गये । वही मेष की साढ़े साती में ही लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले में फंस गये और राजगद्दी से हाथ धो बैठे और कई संकटों में उलझ गये । मेष की साढ़े साती में ही अर्जुन सिंह पी.वी.नरसिंहाराव सरकार से इस्‍तीफा दे बैठे और कांग्रेस से भी बाहर हो गये , इसी साढ़े साती में चन्‍द्रबाबू नायडू भी मेष राशि के होकर मुख्‍यमंत्री बन गये, मेष की साढ़े साती में ही अटलबिहारी बाजपेयी प्रधानमंत्री बन गये, लालकृष्‍ण आडवाणी मंत्री और उपप्रधानमंत्री बन गये, उमाभारती केन्‍द्रीय मंत्री बन बैठीं ।

अटलबिहारी बाजपेयी के लिये वक्री शनि बहुत अच्‍छा फलप्रद रहता आया वहीं मार्गी शनि के समय वे सदा झंझटों में उलझे रहे । मेष की साढ़े साती समाप्‍त होने के साथ ही मेष राशि वाले भाजपा नेताओं की सत्‍ता छिन गयी वहीं मध्‍यप्रदेश में भी मेष की साढ़ेसाती काल में मुख्‍यमंत्री बनीं उमाभारती को भी नाटकीय ढंग से राजगद्दी से हाथ धोना पड़ा और अगली राशि वृष पर साढ़ेसाती के चलते बाबूलाल गौर म.प्र. के मुख्‍यमंत्री बन गये ।

मेष राशि की साढ़ेसाती काल में ही मेष राशि के राष्‍ट्रों में भी युद्ध छिडे अमरीका, ईराक, अफगानिस्‍तान और ओसामा बिन लादेन सभी मेष राशि के ही जातक हैं, इनका पूरा घटनाक्रम मेष राशि की साढ़ेसाती के दरम्‍यान ही घटित हुआ ।

शनि का वक्री होना म.प्र. के मुख्‍यमंत्री रह चुके बाबूलाल गौर को नही फला और उनका मुख्‍यमंत्री पद चला गया यदि वे किसी तरह शनि संतुष्टि का उपाय साध कर शनि के मार्गी होने तक टिके रहते तो उनका बाल बांका नहीं होता तथा वे मुख्‍यमंत्री बने रहते । तथा शिवराज सिंह को लघु कल्‍याणी ढैया का या उनकी जन्‍म राशि (ज्ञात नहीं) पर संभवत: साढ़ेसाती के कारण आया राजयोग बंध जाता यानि टल जाता ।

वर्तमान में चल रहा कर्क की साढ़ेसाती का दौर 9 सितम्‍बर को समाप्‍त होकर कई अच्‍छे परिवर्तन होने की उम्‍मीद है क्‍योंकि कर्क राशि का गहरा सम्‍बन्‍ध नक्षत्र सम्राट पुष्‍य नक्षत्र, विप्र वर्ण, देव योन से होकर स्‍वामी चन्‍द्रमा है । कर्क राशि के जातक देवता तुल्य मान्‍य किये गये हैं, संकट से दौर से गुजर रहे इस राशि के जातक अब भारी राहत महसूस करेंगें वहीं यदि साढ़े साती के कारण कर्क राशि के कुछ जातक जो अब तक मलाई मार रहे थे उन्‍हें अब अपना इन्‍तजाम कर लेना चाहिये ।

अब वर्तमान साढ़े साती शनि की दशा 10 सितम्‍बर 09 से तुला, सिंह व कन्‍या पर चलेगी जिसमें सिंह पर साढ़ेसाती का अंतिम चरण और, कन्‍या पर दूसरा चरण एवं तुला पर पहला चरण शुरू होगा ।

वर्तमान में भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह राशि के हैं वे भी सिंह की राशि पर साढ़े साती आते ही प्रधानमंत्री सुख पा गये । लेकिन सिंह राशि का साढ़ेसाती का अंतिम चरण होने से अब उनका यह सुख लम्‍बे समय तक नहीं चलेगा । ज्योतिषीय हिसाब से किसी न किसी कारण से वक्री शनि आने पर (13 जनवरी 2010) मकर संक्रान्ति से मुसीबतों का दौर चालू होगा । और बाद में शनि के मार्गी होते ही मुसीबतें समाप्‍त भी हो जायेगा । लेकिन सिंह की साढे साती समाप्‍त होने के बाद वे प्रधानमंत्री नहीं रहेंगें , ज्‍योतिषीय तौर पर यह तय है । सिंह की साढ़े साती समाप्ति के साथ ही वृश्चिक राशि पर साढ़े साती शुरू हो जायेगी । तो यह तय है कि अगली सत्‍ता पर या राजगद्दियों पर तुला, वृश्चिक और कन्‍या राशि के लोग काबिज होंगे ।  

ग्वालियर के एफ.एम. स्टेशन 91.9 लेमन ने बनाया लिम्का बुक में रिकॉर्ड

ग्वालियर के एफ.एम. स्टेशन 91.9 लेमन ने बनाया लिम्का बुक में रिकॉर्ड

ग्वालियर: 7 सितम्बर 09,  हिम्मते मर्दा, मददे ख़ुदा। यदि इंसान ठान ले तो वह कुछ भी कर सकता है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है ग्वालियर के प्रसिध्द एफ. एम. सुनो लेमन 91.9 एफ एम रसीला। सुनो लेमन 91.9 एफ एम द्वारा अपनी दूसरी वर्षगांठ पर शुरू किया गया कैम्पेन बनेगा क्या? अब बनेगा क्या? ने होकर बन गया हो गया है।

31 अगस्त की मध्य रात्रि शुरू हुआ कैम्पेन बनेगा क्या ने 7 सितम्बर की मध्य रात्रि को अपना सफर पूरा किया। इस तरह लेमन 91.9 एफ एम ने अपना नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज करवाया।

बनेगा क्या? की शुरूआत ग्वालियर के महापौर श्री विवेक शेजवलकर जी के कर कमलों से हुई। इससे पहले लेमन टीम द्वारा इस कैम्पने के पूरा होने के लिए सभी धर्म स्थलों पर जाकर बनेगा क्या? की सफलता के लिए कामना की गई।

1 से 7 सितम्बर तक सुनो लेमन 91.9 एफ एम द्वारा इस सफर में ग्वालियर के हर कोने को कवर किया गया। लश्कर, मुरार, हजीरा, ग्वालियर आदि सभी जगहों पर लेमन एफ एम की टीम गई। इस दौरान ग्वालियर के सभी लोगों की समस्याओं को मोबाइल स्टूडियो वैन में बैठे आर. जे. ने स्वयं देखा और लेमन एफ एम के जरिए इन समस्याओं को उठाया। इस दौरान बीजेपी की सांसद यशोधरा राजे सिंधिया, टांसपोर्ट कमिश्नर एन के त्रिपाठी, एस पी ए. साई. मनोहर, सैंटल जेल के जेलर हरेंद्र सिंह, आर. टी. ओ. अशोक सिंह राठौर, सभापति बिजेंद्र सिंह जादौन, मदाखलत अधिकारी दिग्विजय सिंह जादौन, रिटायर्ड ए डी एम एस डी शर्मा आदि ने शिरकत की।

                     वहीं दूसरी तरफ साधारण जनता को भी लेमन टीम द्वारा चलाए जा रहे अभियान बनेगा क्या? के जरिए अपनी आवाज़ उठाने का मौका मिला।

 

वहीं दूसरी और निम्न वर्ग के श्रोता जो सिर्फ सुना करते थे, परमानैंटली लेमन 91.9 एफ एम से जुड़ गए। ग्वालियर के श्रोताओं से रूबरू होकर एफ.एम. रेडियो की टीम द्वारा ग्वालियर की समस्याओं को जाना गया। हर कोई यह चाहता है कि ग्वालियर विकास करे। विकासशील शहर से विकसित शहर बनें।

आखिरी दिन लेमन रसीला की मोबाइल स्टूडियो वैन में यशोधरा राजे सिंधिया से रूचि और पिया ने बातचीत की।

 

बनेगा क्या ? कैम्पेन पूरा होने पर सुनो लेमन द्वारा बाड़े पर रंगारंग कार्यक्रम, लिम्का बुक ऑफ रिकार्डस में दर्ज

ग्वालियर: 7 सितम्‍बर 09,  सुनो लेमन 91.9 एफ एम द्वारा महाराज बाड़े पर किया गया कार्यक्रम ग्वालियर की जनता के लिए बहुत ही रॉकिंग रहा। मैड ओ वॉट बैंड की परफोरमैंस, रॉकिंग गानों पर थिरकते कदम इस बात को ब्यान कर रहे थे लेमन द्वारा शुरू किया गया कैम्पेन बनेगा क्या? में वाकई ग्वालियर की पूरी जनता ने आनन्द लिया। जैसे जैसे कार्यक्रम आगे बढ़ता गया वैसे वैसे वहां उपस्थित लोगों में एनर्जी बढ़ती गई। हम्मा हम्मा, समर ऑफ69, यू हीं चला चल राही, दिल से, जय हो, रॉक ऑन मूवी का फेमस साँग मेरी लाँडी का एक बिल आदि गानों पर महाराज बाड़े पर उपस्थित ग्वायिलर की जनता को थिरकने पर मजबूर कर दिया। बीच बीच में आ रहे ब्रेक के दौरान आर जे वेद ने अपने हास्य अंदाज में विभिन्न कलाकारों जैसे नाना पाटेकर, सनी दयोल, धर्मेन्द्र, शत्रुघ्न सिन्हा, राखी आदि अनेक कलाकारों की मिमिक्री कर कार्यक्रम में उपस्थित लोगों का मनोरंजन किया। इस कार्यक्रम के दौरान मुसाफिर रूद्र द्वारा अनेक सवाल भी पूछे गए और ढेर सारे प्राइज़ भी दिए गए। लेमन एफ एम द्वारा करवाए गए इस एफ एम में जनता के बीच से ही लोगों को चीफ गेस्ट बनाया गया।

                           ज्ञात रहे सुनो लेमन 91.9 एफ एम द्वारा 1 से 7 सितम्बर तक शुरू किया गया कैम्पेन बनेगा क्या? 7 तारीख को रात 12 बजे पूरा हो गया। इस दौरान लेमन एफ एम की टीम द्वारा पूरे ग्वालियर को कवर किया गया।

क्ार्यक्रम में लेमन टीम के सदस्य: स्टेशन डायरेक्टर: रूचि सिंह, दौलत सिंह चौहान, प्रोग्रामिंग मैनेजर: कैलाश शर्मा, मीडिया मैनेजर: सौरभ बवेजा, प्रोडक्शन हेड: संदीप राज शांडिल्य, सेल्स हेड: सुनील गोयल, मार्कीटिंग मैनेजर: प्रमोद जैन, दीपक जैन, इवेंट मैनेजर: रॉबिन सिंह उपस्थित थे।

लेमन एफ एम के आर. जें: आर जे रूचि, पिया, अरमान, रीचा, ध्रुव, सूरज, वेद ने मोबाइल स्टूडियो वैन से कार्यक्रम में हो रहे ताजा घटनाक्रम से लोगों को रूबरू करवाया।

 

काश्तकारों के जीवन में खुशहाली का ताना-बाना बुनते बलराम तालाब

काश्तकारों के जीवन में खुशहाली का ताना-बाना बुनते बलराम तालाब

- जे.पी. धौलपुरिया, उपसंचालक, जिला जनसंपर्क कार्यालय शहडोल म.प्र.

शहडोल 7 सितम्बर 2009. जब पैंतीस वर्षीय श्री रामनारायण कुशवाहा ने तमाम प्रयासों के बाद नौकरी नहीं मिलने पर दो वर्ष पूर्व शहडोल जिले के खेतौली गांव में अपने परिवार की पांच एकड़ जमीन के खेतों के बीच कृषि विभाग के अनुदान की सहायता से तालाब खुदवाने का फैसला किया, तो उन्हें जरा भी एहसास नहीं था कि वे बहुत जल्द लखपति बन जाएंगे । लेकिन बारवीं पास श्री रामनारायण की दो साल में उस तालाब ने तकदीर बदल दी ।

       रामनारायण ने जब भी खेतों से अपना भविष्य बनाने की कल्पना की, वह परवान नहीं चढ़ सकी । सिंचाई की कमी उनके मार्ग में बाधा थी । सिंचाई के लिए खेत पूरी तरह वर्षा पर निर्भर होने के कारण खेती की ओर बढ़ते उनके कदम हमेशा डगमगाने लगते थे । लेकिन कृषि विभाग द्वारा खेतों में ही तालाब निर्माण के प्रति जगाए अनुराग ने सिंचाई को लेकर उनके मन में उपजी निराशा को पलट दिया । कृषि विभाग ने सिंचाई के लिए उनके खेतों में तालाब की व्यवस्था करके क्रांति ला दी । श्री रामनारायण ने पांच एकड़ के अपने पारिवारिक खेतों के बीच कृषि विभाग के अनुदान की बदौलत एक तालाब खुदवाया, जिसे आज बलराम तालाब के नाम से जाना जाता है । इस तालाब के भरोसे रामनारायण ने खेतों में फसलें बो दीं । बरसात में गिरा पानी तालाब में जमा होने लगा और उससे खेतों की प्यास बुझने लगी । फसलें लहलहाने लगीं ।

       कभी फांकाकशी करने वाले रामनारायण को सरकारी मदद और उनकी मेहनत की बदौलत फर्श से अर्श तक पहुंचने में तुरंत सफलता हाथ लग गई । यही नहीं, खेतों से फसल निकालते ही वे लखपति बन गए । रामनारायण में इस काम को लेकर खासा उत्साह है । उन्होंने अपनी धान, गेंहू , तिल की फसलों की अप्रत्याशित बिक्री की और भारी कारोबार के जरिए उन्होंने खेतों में दूसरी फसलें भी लेना शुरू कर दिया । आज तालाब की सिंचाई से भरपूर फसलें लेने में आसपास के गांवों में रामनारायण एकदम जाना-पहचाना नाम है , जिसकी बदौलत उनके पास मकान व मोटर साइकिल है और अब टे्रक्टर खरीदने की सोच रहे हैं । उनका सालाना टर्नओवर तकरीबन 3 लाख रूपये का हो गया है । वे 90 क्विंटल अकेले धान का ही उत्पादन लेते हैं ।

       अनेक काश्तकार बलराम तालाब योजना की ओर आकर्षित हुए हैं । बलराम तालाब रामनारायण के पांच एकड़ खेतों की प्यास बुझाता है और साल में तीन फसलें होती हैं। रामनारायण डीजल पंप से अपने खेतों में सिंचाई करते हैं । खास बात यह है कि तालाब को नीचाई पर इस तरह बनाया गया है कि खेतों में दिया गया पानी अन्तत: बहकर वापस तालाब में ही जमा हो जाता है, जिससे तालाब खाली नहीं हो पाता । बलराम तालाब से पनपे खेतों से आज रामनारायण और उनके दो भाईयों यानि तीन परिवारों की बड़े मजे में आजीविका चल रही है । उनके बच्चे अच्छे स्कूलों में पढ़ रहे हैं और वे सब जीवन का हर सुख भोग रहे हैं। बलराम तालाब ने उनके जीवन में समृध्दि ला दी है ।

       बीते वक्त को याद करते हुए रामनारायण का कहना है, ''अगर आज तालाब नहीं होता, तो मैं फक्कड़ ही बना रहता । तालाब ने जीने का सहारा दिया है और आगे बढ़ने का हौसला बढ़ाया है । '' वे बताते हैं, '' खेती के दौरान मैं बस इसी बारे में सोचता था । और आज जब पीछे मुड़कर देखता हूँ, तो हैरान होता हूँ कि क्या यह सब मैंने किया है । ''

       शहडोल जिले में सरकारी तालाबों के निर्माण की छवियां बेशक सुखद हैं, जिन्होंने हमेशा के लिए तमाम काश्तकारों का जीवन बदल दिया । कुछ ही वर्षों में वे लाखों में खेलने लगे । शहडोल के उप संचालक कृषि श्री के. एस. टेकाम कहते हैं, '' इसे एक बदलाव वाला मोड़ कहा जा सकता है । असिंचित क्षेत्रों के काश्तकार अपने खेतों में बरसाती पानी के तालाबों से अपनी फसल बचा लेते हैं । गत तीन वर्षों में विभाग ने जिले में 583 तालाब बनवाए, जिनके लिए काश्तकारों को कुल 64.60 लाख रूपये की अनुदान राशि मुहैया कराई गई । अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति के काश्तकारों को एक लाख रूपये तक और सामान्य वर्ग के काश्तकारों को 80 हजार रूपये तक का अनुदान दिया जाता है ।''

सिंचाई के लिए एक कारगर साधन के रूप में काश्तकारों के लिए जीवनयापन के स्थायी और उन्नतशील मॉडल बलराम तालाब ने शहडोल जिले के तमाम काश्तकारों को आजीविका चलाने में मदद की है।