राजनीतिक कारणों से ध्वस्त हुई ( की गई) मुरैना जिला की विद्युत सप्लाई
...... कल पूरे दिन और आज पूरी रात गुल रही मुरैना की बिजली ....... सुबह
सवेरे अभी तक गुल है मुरैना जिला की विद्युत सप्लाई ...... गणेश शंकर
विद्यार्थी प्रेस क्लब मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को लिखेगा पत्र , कई
भ्रष्ट , नाकारा और शासकीय सेवा हेतु अयोग्य व अपात्र राजनीतिक दलों से
संबद्ध आफिसर्स एवं कर्मचारीयों को मुरैना जिला से तुरंत व तत्काल हटाने की
मांग करेगा .... नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द'' , अध्यक्ष , प्रेस क्लब ,
चम्बल संभाग एवं मुरैना जिला
मंगलवार, अप्रैल 28, 2015
सोमवार, अप्रैल 27, 2015
ना सुनवाई को हुकूमत है, न हाकिम फरियाद कोई करने को, जब जुल्मी ही हुकूमत और हाकिम है तो फरियाद किसे करिये, दिल्ली मसले सुलझाने में राजस्थान के राजपूताने के क्षत्रिय राजपूत रजवाड़े और चंबल का तोमर राजपरिवार भी सारे मामले में सक्रिय भूमिका में रहा , नरेन्द्र सिंह तोमर को ‘’आप’’ द्वारा ‘’ चंबल’’ से दिल्ली में महत्वपूर्ण भूमिका में ले जाने की तैयारी
बेमौसम
वारिशों का दौर फिजाओं की ऋतु में, कहर
बिजली कटौती का तपती दोपहरी की भीषण गर्मी में जो देखिये तो म.प्र. आईये, सुलझा आखिर राजपूताने के दखल से दिल्ली में किसान आत्महत्या का मसला ,
शहीद के दर्जे के साथ ताम्रपत्र भी
ना
सुनवाई को हुकूमत है, न हाकिम फरियाद
कोई करने को, जब जुल्मी ही हुकूमत और हाकिम है तो फरियाद
किसे करिये, दिल्ली मसले सुलझाने में राजस्थान के राजपूताने के
क्षत्रिय राजपूत रजवाड़े और चंबल का तोमर राजपरिवार भी सारे मामले में सक्रिय भूमिका
में रहा , नरेन्द्र सिंह तोमर को ‘’आप’’
द्वारा ‘’ चंबल’’ से दिल्ली में महत्वपूर्ण भूमिका में ले जाने की
तैयारी
नरेन्द्र सिंह तोमर
‘’आनंद’’
Gwalior Times
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(
प्रथम भाग) किश्तबद्ध आलेख
जल्लाद ही जब
हाकिम हो,
तो फरियाद क्या करना, अपराधी ही जब हुकूमत हो
तो सैयाद से क्या कहना ।
म.प्र. की हालत कोई
आजकल से नहीं ,
पूरे 15 वर्ष से बदस्तूर बेहद खराब व खस्ता है, कम से कम बिजली कटौती के मामले में, बिजली कटौती के
मामले में हर चुनाव पर ( सन 2003, सन 2008, सन 2013) म.प्र. की भाजपा सरकार द्वारा या भारतीय जनता पार्टी एक फर्जी व
फेक मुहिम चलाती है, हर बार उसका एक अलग नामकरण कर देती है ।
सन 2013 के चुनावों
के ऐन पहले ऐसी ही एक मुहिम चलाई गई और नाम दिया गया ‘’अटल ज्योति’’
योजना , इस योजना के बारे में प्रचार प्रसार ,
उद्घाटन समारोह आदि ( जो कि 90 फीसदी जगहों पर जनरेटर लगा कर किये गये
) पर करोड़ों अरबों रूपये म.प्र. की शिवराज सिंह सरकार ने महज बोतल पर लेबल चिपकाने
और ढक्कनबाजी में फूंक दिये ।
मगर म.प्र. में बिजली
फिर भी नहीं आई,
अटल ज्योति फिर भी नहीं आई , अलबत्ता करीब सन 2005
के अंत से म.प्र. में चल रही अघोषित बिजली कटौती का अंतराल काल बहुत बढ़ गया ।
म.प्र. में सन 2005 के
पश्चात कभी घोषित बिजली कटौती हुई हो, ऐसा पूरे 10 वर्ष के कालखंड में
तो कभी हुआ नहीं ।
अलबत्ता अफसरशाही और नेतृत्व
व राजनैतिक भ्रष्टाचार,
लालफीताशाही म.प्र. पर इस कदर हावी हुई कि ना जनता की सुनने वाला कोई
म.प्र. में हजारों किलोमीटर दूर तक बचा और ना कार्यवाही करने वाला ।
अंजाम ये हुआ कि 15 वर्ष
से बिजली को तरस रहे इस म.प्र. में इतने समय खंड में आज तक वह दिन आया ही नहीं जब बिजली
सप्लाई म.प्र. के एक भी शहर या गॉंव में कभी पूरे दिन या पूरी रात आई हो या रही हो, अपवाद
स्वरूप यदि शहर भोपाल के चंद हिस्सों को छोड़ दें या इंदौर ग्वालियर या जबलपुर के चंद
हिस्सों को छोड़ दें तो समूचे म.प्र. में ऐसा कोई स्थान नहीं मिलेगा , जहॉं से बिजली लापता न हो । .....
शेष अगले अंक में
जारी
आखिर
राजपूतों के दखल से सुलझ गया , दिल्ली की आप रैली
में किसान गजेन्द्र सिंह की आत्महत्या का मामला
दिल्ली से बड़ी खबर है
कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की किसान रैली में राजस्थान के दौसा जिला के किसान गजेन्द्र
सिंह द्वारा आत्महत्या का मामला तूल पकड़ जाने और समस्या बन जाने व समाधान से बाहर
हो जाने पर जब कोई राह केजरीवाल सरकार के सामने नहीं रही तब केजरीवाल के काम राजपूताने
के राजपूत ही आये,
राजस्थान के राजपूताने के क्षत्रिय राजपूत रजवाड़ों से बेहतर संबंध रखना
केजरीवाल के लिये वक्त पर मुफीद साबित हुआ, और वक्त जरूरत न केवल
काम आ गया बल्कि एक बहुत बड़े संकट से निजात दिलाकर , आने वाले
वक्त में राजस्थान , म.प्र. और उ.प्र. हरियाणा, बिहार, पंजाब में आम आदमी पार्टी की जड़े पुख्ता करने
का संकेत देक एक रास्ता बना गया ।
केजरीवाल सरकार के राजपूत
नेता संजय सिंह ,
राजेन्द्र प्रताप सिंह , दिल्ली सरकार के एक राजपूत
मंत्री राजस्थान के दंबंग व हुकुमदार असल क्षत्रिय
राजपूत नेताओं व रजवाड़े के सदस्यों के प्रतिनिधि मंडल के साथ पीडि़त परिवार के घर
पहुँचें व स्व. गजेन्द्र सिंह के परिवार के सदस्यों से मुलाकात की, और पारस्परिक वार्ता व अपेक्षित घोषणाओं एवं सहायता देने के ताम्रपत्र दिये
जाने की घोषणा के साथ मामले का पटाक्षेप हो गया ।
इस कार्यवाही या मुलाकात
के लिये चम्बल से दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर के वंशज नरेन्द्र सिंह तोमर
को भी फोन लगा कर बुलाया गया, लेकिन नरेन्द्र सिंह तोमर की तत्समय बहुत अधिक
व्यस्ततावश उन्होनें कहा कि ‘’ आप लोग चले जाईये , कोई दिक्कत हो या समस्या न सुलझे तो फोन से ही हमारी बात करा दें, इसके साथ ही नरेन्द्र सिंह तोमर ने पीडि़त परिवार को सहायता व मदद दिये जाने
के संबंध में अपनी कुछ राय व मशविरे दिये’’ , जिसे आप नेताओं व राजस्थान
के राजपूताने के क्षत्रिय राजपूत रजवाड़ों ने जस का तस शामिल व स्वीकार कर लिया ,
उल्लेखनीय है कि इंद्रप्रस्थ पति पांडव अर्जुन , दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर के वंशज ‘’जिन्हें
भारत’’ कहा पुकारा जाता है और उन्हीं के कारण इस देश का नाम भारत
है , उनके आदिकाल से नियुक्त किये गये वंशावली लेखक ( जगा) राजस्थान
के दौसा जिला में ही रहते हैं और तोमर राजपरिवार एवं पांडव वंश की सारी वंशावली दौसा
जिला के राजपूताने में ही आदिकाल से नियुक्त किये गये वंशावली लेखक परिवार द्वारा ही
आज दिनांक तक दर्ज की जाती रहीं हैं । और तोमर राजवंश को समस्त राजपूताने में मान्य
पूज्य व चक्रवर्ती सम्राट के रूप में क्षत्रियों राजपूतों में भारत ( महाभारत स्वामी
) के रूप में दर्जा व मान्यता है , और उनकी बात या इच्छा या आदेश
समस्त क्षत्रिय राजपूत बेहद खुशी से व स्वेच्छा से मानते व स्वीकारते हैं ।
केजरीवाल सरकार द्वारा
अब किसान गजेन्द्र सिंह को किसान आत्महत्याओं के बारे में देश भर में अलख जगा कर सारे
देश का ध्यान खींच कर क्रान्ति जगाने वाला महान देशभक्त शहीद का दर्जा दिया जायेगा, इसके
अतिरिक्त शहीद गजेन्द्र सिंह के परिवार के एक आश्रित को सरकारी नौकरी देने के साथ ही
कई अनेक अन्य सहायताओं व घोषाणाओं का ताम्रपत्र शहीद गजेन्द्र सिंह के परिवार को दिया
जायेगा । इस संबंध में बाकायदा दिल्ली सरकार की केबिनेट की बैठक में इस आशय का प्रस्ताव
विधिवत अनुमोदित किया जायेगा ।
महिलाओं
के लिये ''साध्वी शब्द '' अशास्त्रीय,
अपरंपरागत एवं अमान्य है
- नरेन्द्र
सिंह तोमर ''आनन्द''
शब्द ''साध्वी''
सनातन धर्म परंपरा में मान्य व स्वीकृत एवं प्रमाणित शब्द नहीं है,
कुआरी स्त्रियों, अविवाहित स्त्रियों के
लिये ''कुमारी पूजन '' व ''देवी स्वरूपा पूजन की परंपरा अवश्य मान्य है , किन्तु
उनका सन्यास या विरक्ति विधान या तप विधान शास्त्रीय एवं राजाज्ञा या
शास्त्राज्ञा अनुकूल व वर्णित , प्रमाणिक एवं मान्य यथोचित
नहीं है । कुमारी, कुआरी, या अविवाहित
नारी का तप व सन्यास '' शास्त्र द्वारा शिखंडी'' के नाम से व स्वरूप से वर्णित व मान्य परंपरागत है, इसके अतिरिक्त भारत का कोई भी प्राचीन शास्त्र शब्द साध्वी को स्वीकार व
मान्य या उल्लेख नहीं करता, कुमारी देवीयों के रूप में जिनके
यंत्र केवल मात्र अधोमुखी त्रिकोणों द्वारा लिखे व बनाये जाते हैं , वे साक्षात अवतार या देवी रूवरूप में विद्यमान मान्य व स्वीकृत हैं ।
इसी प्रकार विधवा
महिलाओं या रजो व काम निवृत्त महिलाओं के लिये भी शब्द साध्वी प्रयुक्त व
उपरोक्तानुसार ही प्रयोग्य नहीं है । पथरा जाना या पत्थर की हो जाना ( भले ही वह
ईश्वर की साधना या तपस्यारत हो जाये) शब्द सनातन धर्म इस श्रेणी की महिलाओं के
लिये प्रयोग करता है ।
पति विरक्त, परित्यक्त
, गार्हस्थ्य विहीन या त्याज्य महिलाओं या स्वयं परित्याग
करके आई हुई महिलाओं के लिये , जैसे कि गौतम ऋषि की पत्नी
अहिल्या के लिये या माता शबरी के लिये भी साध्वी शब्द प्रयोग नहीं किया गया ,
साध्वी शब्द इस श्रेणी की महिलाओं के लिये भी प्रयोग नहीं किया जाता
, इन्हें भी पथराई हुई या पत्थर में तब्दील नारी की श्रेणी
में रखा गया है , देशी देहाती प्रचलित शब्द व भाषा में इनमें
से कुछ के लिये परंपरागत शब्द ''काग बिड़ारनी'' प्रयोग किया जाता है ।
श्रीमद भगवदगीता में
भी तथा अन्यान्य सनातन धर्म के ग्रंथों व शास्त्रों में '' शब्द
साधु '' मान्य व स्वीकार है , जिसका
तात्पर्यिक अर्थ .... सज्जन , निर्मल, निष्कपट, निश्छल , निष्काम,
आसक्ति हीन, मनुष्य के लिये गीता में वर्णित
धर्माचरण युक्त पुरूष के लिये किया गया व अन्य शास्त्रों ग्रंथों व राजाज्ञाओं के
अनुसार मान्य व स्वीकृत है , जबकि शब्द साध्वी अप्रचलन व
अमान्य व अस्वीकृत है , महिला के रूप कुल 84 होते हैं,
जिसमें से उसे या तो 64 योगनीयों ( जोगिन ) के रूप में या दस
महाविद्याओं के स्वरूप में या आदि शक्ति या त्रिमहामाया ( एक ही रूप है ) के
रूवरूप में, या नौ देवियों के रूप में स्वीकार व मान्य किया
जाता है , इन 84 रूपों के अलावा महिलाओं को अन्य जिन रूपों
में मान्य व स्वीकार किया गया है उनमें
देवी के विभिन्न अवतार, यक्षणी, जिन्न,
गंधर्व- अप्सरा, किन्नरी, पिशाचणी, शंखणी, हस्तिनी ,
पद्मिनी, , वृषणी, अश्वणी,
चन्द्रमा की सत्ताइस पत्नियों आदि आदि सहित 108 अन्य स्वरूप भी
स्वीकार किये गये हैं , स्त्री का धर्माचरण उसके पति से
सहबद्ध होता है, बिना पति की नारी धर्म विहीन रहती है,
पति चिन्तन और पति स्मरण ध्यान व वंदन समर्पण ही नारी का
सर्वश्रेष्ठ धर्माचरण एवं उसके मोक्ष मार्ग का सर्वोच्च साधन है ( विशेष आलेख इस
विषय पर जल्दी ही लायेंगें) ...... जय
श्री कृष्ण .... जय जय श्री राधे - नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द''
रविवार, अप्रैल 26, 2015
प्रेस क्लब जिला मुरैना की जिला कार्यकारणी घोषित , गणेश शंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब की शहर इकाई भी घोषित की गई
प्रेस क्लब जिला मुरैना की जिला कार्यकारणी घोषित , गणेश शंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब की शहर इकाई भी घोषित की गई
मुरैना 25 अप्रेल 15 . गणेश शंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब की मुरैना जिला की जिला कार्यकारणी एवं शहर मुरैना की शहर कार्यकारणी , प्रेस क्लब के चम्बल संभाग अध्यक्ष एवं मुरैना जिलाध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द'' द्वारा निम्नानुसार घोषित कर दी है ।
मुरैना 25 अप्रेल 15 . गणेश शंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब की मुरैना जिला की जिला कार्यकारणी एवं शहर मुरैना की शहर कार्यकारणी , प्रेस क्लब के चम्बल संभाग अध्यक्ष एवं मुरैना जिलाध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द'' द्वारा निम्नानुसार घोषित कर दी है ।
सोमवार, अप्रैल 20, 2015
म.प्र. में प्रेस क्लबों की नवीन अवधारणा एवं राज्य स्तर से लेकर तहसील व ब्लॉक स्तर तक के पत्रकारों की सहायता व कल्याण के साथ संभाग व जिलों में प्रेस क्लबों की स्थापना एवं कार्य
म.प्र. में प्रेस क्लबों की नवीन अवधारणा एवं राज्य स्तर से लेकर तहसील व
ब्लॉक स्तर तक के पत्रकारों की सहायता व कल्याण के साथ संभाग व जिलों में
प्रेस क्लबों की स्थापना एवं कार्य
- नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द''
अध्यक्ष , चम्बल संभाग एवं मुरैना जिला
गणेश शंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब म.प्र.
भोपाल स्थित सन 1969 से बन कर चल रहे पत्रकार भवन को नगर निगम भोपाल द्वारा जर्जर व जीर्ण शीर्ण भवन घोषित कर , इस भवन के ध्वस्त करने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है, आज शायद 20 तारीख को आयुक्त कार्यालय में इस पर चल रहे प्रकरण में निर्णय होना है, 18 अप्रेल को भोपाल में आयोजित ख्यातिप्राप्त , मान्यता प्राप्त 16 पत्रकार संगठनों एवं गणेश शंकर विथार्थी प्रेस क्लब म.प्र. द्वारा आयोजित समस्त पत्रकारों के एक बृहद आयोजन के दरम्यान पत्रकारों के संज्ञान व जानकारी में आया है कि यह भवन सन 1969 में ''वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन '' को तत्कालीन म.प्र. सरकार द्वारा सुपुर्द किया गया था , करीब 46 वर्ष पुराने इस भवन की जर्जरता व जीर्ण शीर्णता के चलते इसका ध्वस्तीकरण कर इसका पुनर्निमाण किया जाना है, बकौल म.प्र. के मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार भोपाल में प्रदेश भर के व बाहरी सभी आगंतुक व अतिथि पत्रकारों के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर व मानदंडों के अनुकूल एक नया प्रेस क्लब भवन बनाया जाना प्रस्तावित है, जिस पर अनुमानित लागत करीब 9 - 10 करोड़ रूपये आने का पूर्व अनुमान व राशि निर्धारण किया गया है , इसके साथ ही म.प्र. के हर जिला में व संभाग में संभागीय व जिला स्तर पर इसी तर्ज पर प्रेस क्लब बनेंगें , हर जिले के प्रेस क्लब के लिये मुख्यमंत्री सहायता निधि से 50 लाख रूपये व अन्य राशि अन्य निधियों से प्राप्त होगी, अंतर्राष्ट्रीय स्तर का प्रेस क्लब भवन राजधानी भोपाल में होगा - भोपाल के अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रेस क्लब एवं सभी जिला स्तरीय व संभाग स्तरीय प्रेस क्लब भवनों में म.प्र. शासन के जनसंपर्क संचालनालय व सभी जनसंपर्क कार्यालय भी वहीं पर ही इन प्रेस क्बों में ही संचालित होंगें , इसके अतिरिक्त प्रत्येक पत्रकार / साहित्यकार चाहे वह अधिमान्यता प्राप्त हो या अथवा उसे अधिमान्यता प्राप्त न हो, वह किसी मीडिया संस्थान में कार्यरत हो या न हो , या सेवानिवृत्त हो या स्वतंत्र पत्रकार या स्वतंत्र साहित्यकार हो ( उल्लेखनीय है कि कम से कम 30 आलेख या रचनायें या फीचर्स या अन्य उसके द्वारा आवश्यक रूप से लिखे गये हों और वह चाहे जिस मीडिया पर प्रकाशन हुये हों , या स्वयं द्वारा प्रकाशन स्वयं के माध्यम से किये गये हों उसे स्वतंत्र पत्रकार या स्वतंत्र साहित्यकार कहा जाना प्रस्तावित है) ऐसे सभी लोगों के लिये भोपाल के अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रेस क्लब में एवं समस्त संभागीय व जिला स्तरीय प्रेस क्लबों में अकेले या सपरिवार रूकने, ठहरने , खाने पीने सहित पत्रकार वार्ताओं एवं अन्य प्रेस गतिविधियों, रचनाओं , खबरों की सामग्री संग्रह , कवरेज आदि करने की सुविधा शामिल होने की सुविधा मुहैया रहेगी , उसे व सभी पत्रकारों / साहित्यकारों को जनसंपर्क संचालनालय एवं जनसंपर्क कार्यालयों की सभी प्रेस विज्ञप्तियां व अन्य प्रेस सामग्री , संदर्भ साहित्य व पत्रकारों व साहित्यकारों को दी जाने वाली प्रत्येक सामग्री / साहित्य/ विषयवस्तु या अन्य कोई भी सुविधा व उपहार या अन्य कोई भी चीज वहीं पर ही एक ही जगह प्रेस क्लब के माध्यम से उपलब्ध हो सकेगी या कराई जायेगी । इसके अतिरिक्त अब कोई भी पत्रकार वार्ता कहीं भी बाहर नहीं होगी, प्रत्येक पत्रकार वार्ता चाहे जो भी हो , सभी को अनिवार्य रूप से प्रेस क्लब में ही लेना होगी और अब राजधानी भोपाल सहित किसी भी संभागीय या जिला स्तरीय पत्रकार वार्ता का कोई भी आयोजन प्रेस क्लब से बाहर नहीं करा जायेगा , इसके साथ ही अब कोई भी पत्रकार किसी भी हस्ती या गैर हस्ती या सरकारी या गैर सरकारी विभाग की पत्रकार वार्ता लेने के लिये अब उसके बताये या पुकारे गये स्थान पर पत्रकार वार्ता लेने नहीं जायेगा , उसे अब केवल प्रेस क्लब में ही पत्रकार वार्ता देने या लेने की अनुमति होगी , चाहे कोई भी राजनेता हो, राजनीतिक दल हो, अभिनेता या आफिसर हो या कर्मचारी हो या कोई भी व्यक्ति जो कि पत्रकार वार्ता लेने या देने का इच्छुक व अभिलाषी हो , उसे प्रेस क्लब मात्र अकेले को सूचना देनी होगी, प्रेस क्लब ही अपने उसे समस्त पूरे प्रेस क्लब को स्वयं ही अवगत करा देगा एवं पत्रकारगण या साहित्यकार गण तदनुसार उस पत्रकार वार्ता को ले सकेंगें या न ले सकेंगें , इसके साथ ही सरकार का जनसंपर्क अधिकारी भी उस पत्रकार वार्ता में सम्मिलित रहेगा , यह भी वहीं प्रेस क्लब यदि चाहेगा तो किसी पत्रकार वार्ता का बहिष्कार करने का निर्णय भी ले सकेगा । इसी के साथ ही प्रेस क्लब में भोजन, चाय नाश्ते व अन्य खाने पीने की सुविधाओं के लिये भोजनालय व कैन्टीन संचालन व प्रबंधन सुविधा उपलब्ध रहेगी जो कि अत्यंत नाम मात्र के शुल्क पर नाश्ता , चाय भोजन व अन्य खाने पीने की सुविधा उपलब्ध करायेगी । कोई भी पत्रकार या साहित्यकार चाहे भले ही अधिमान्यता प्राप्त हो या न हो या चाहे स्वतंत्र पत्रकार या साहित्कार हो, किसी बहुत बड़े मीडिया संसथान का कर्मचारी या अधिकारी हो या बहुत ज्यादा छोटे से किसी भी अखबार या गैर अखबारी पत्रिका का या अन्य मीडिया का कर्मचारी या अधिकारी हो या एकदम पूर्ण स्वतंत्र लेखक या साहित्यकार हो और कोई भी अखबार या मीडिया से न जुड़ा हो , सभी के लिये एक समान सुविधा एवं एक समान व्यवहार व एक समान कार्यप्रणाली समस्त उपलब्धतायें व सहयोग उपलब्ध रहेगा, इसके अतिरिक्त यह भी प्रेस क्लब की नवीन अवधारणा में स्थापित किया गया है कि कोई भी पत्रकार या साहित्यकार को दी जाने वाली चिकित्सा, स्वास्थ्य या दुर्घटना बीमा या अन्य श्रद्धा निधि या अन्य प्रकार की कोई भी वित्तीय या आर्थिक सुविधा , आवास या पत्रकार कालोनी या आवासीय भूखंड आदि की सुविधा भी प्रेस क्लब के माध्यम से प्रदत्त की जायेगी, पत्रकारों व साहित्यकारों आदि सहित स्वतंत्र पत्रकारों व साहित्यकारों आदि को भी अधिमान्या देने, या न देने या अधिमान्यता न देने या अधिमान्यता वापस लेने आदि संबंधी समस्त कार्य व निर्णय भी प्रेस क्लबों द्वारा ही संपादित करे जायेंगें एवं तदनुसार आवश्यक कार्यवाहीयां , पत्रकारों व साहित्यकारों की समस्या व परेशानीयां चाहे वह निजी हों या पारिवारिक या सामाजिक या राजनीतिक या अन्यान्य प्रकार की का निराकरण व कार्यवाहीयां भी प्रेस क्लबों द्वारा की जायेंगीं, गरीब पत्रकारों व साहित्यकारों या आर्थिक रूप से कमजोर या विपन्न पत्रकारों व साहित्यकारों को बेटियों व बेटों के विवाह शादी या जन्मोत्सव या अन्य कार्यक्रमादि संपन्न करने के लिये भी प्रेस क्लब सहायता व सहयोग के साथ ही उन्हें भवन एवं भूमि , परिसर आदि उपलब्ध करायेंगें जिससे किसी भी पत्रकार व साहित्यकार की समाजिक प्रतिष्ठा , गरिमा , मान मर्यादा सर्वदा सुरक्षित व अक्षुण्ण बनी रहे , प्रेस क्लब पत्रकारों व साहित्यकारों के लिये कल्याण व सेवा के माध्यम के रूप में विकसित किये जाकर एक मंच व एक सहभागिता के साथ वसुधैव कुटुम्बकम की भावना एवं थीम से ओतप्रोत रहेंगें - नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द'' , अध्यक्ष , चम्बल संभाग एवं मुरैना जिला , गणेश शंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब म.प्र. , सी. ई. ओ. एवं प्रधान संपादक , ग्वालियर टाइम्स समूह एवं '' चम्बल की आवाज''
- नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द''
अध्यक्ष , चम्बल संभाग एवं मुरैना जिला
गणेश शंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब म.प्र.
भोपाल स्थित सन 1969 से बन कर चल रहे पत्रकार भवन को नगर निगम भोपाल द्वारा जर्जर व जीर्ण शीर्ण भवन घोषित कर , इस भवन के ध्वस्त करने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है, आज शायद 20 तारीख को आयुक्त कार्यालय में इस पर चल रहे प्रकरण में निर्णय होना है, 18 अप्रेल को भोपाल में आयोजित ख्यातिप्राप्त , मान्यता प्राप्त 16 पत्रकार संगठनों एवं गणेश शंकर विथार्थी प्रेस क्लब म.प्र. द्वारा आयोजित समस्त पत्रकारों के एक बृहद आयोजन के दरम्यान पत्रकारों के संज्ञान व जानकारी में आया है कि यह भवन सन 1969 में ''वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन '' को तत्कालीन म.प्र. सरकार द्वारा सुपुर्द किया गया था , करीब 46 वर्ष पुराने इस भवन की जर्जरता व जीर्ण शीर्णता के चलते इसका ध्वस्तीकरण कर इसका पुनर्निमाण किया जाना है, बकौल म.प्र. के मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार भोपाल में प्रदेश भर के व बाहरी सभी आगंतुक व अतिथि पत्रकारों के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर व मानदंडों के अनुकूल एक नया प्रेस क्लब भवन बनाया जाना प्रस्तावित है, जिस पर अनुमानित लागत करीब 9 - 10 करोड़ रूपये आने का पूर्व अनुमान व राशि निर्धारण किया गया है , इसके साथ ही म.प्र. के हर जिला में व संभाग में संभागीय व जिला स्तर पर इसी तर्ज पर प्रेस क्लब बनेंगें , हर जिले के प्रेस क्लब के लिये मुख्यमंत्री सहायता निधि से 50 लाख रूपये व अन्य राशि अन्य निधियों से प्राप्त होगी, अंतर्राष्ट्रीय स्तर का प्रेस क्लब भवन राजधानी भोपाल में होगा - भोपाल के अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रेस क्लब एवं सभी जिला स्तरीय व संभाग स्तरीय प्रेस क्लब भवनों में म.प्र. शासन के जनसंपर्क संचालनालय व सभी जनसंपर्क कार्यालय भी वहीं पर ही इन प्रेस क्बों में ही संचालित होंगें , इसके अतिरिक्त प्रत्येक पत्रकार / साहित्यकार चाहे वह अधिमान्यता प्राप्त हो या अथवा उसे अधिमान्यता प्राप्त न हो, वह किसी मीडिया संस्थान में कार्यरत हो या न हो , या सेवानिवृत्त हो या स्वतंत्र पत्रकार या स्वतंत्र साहित्यकार हो ( उल्लेखनीय है कि कम से कम 30 आलेख या रचनायें या फीचर्स या अन्य उसके द्वारा आवश्यक रूप से लिखे गये हों और वह चाहे जिस मीडिया पर प्रकाशन हुये हों , या स्वयं द्वारा प्रकाशन स्वयं के माध्यम से किये गये हों उसे स्वतंत्र पत्रकार या स्वतंत्र साहित्यकार कहा जाना प्रस्तावित है) ऐसे सभी लोगों के लिये भोपाल के अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रेस क्लब में एवं समस्त संभागीय व जिला स्तरीय प्रेस क्लबों में अकेले या सपरिवार रूकने, ठहरने , खाने पीने सहित पत्रकार वार्ताओं एवं अन्य प्रेस गतिविधियों, रचनाओं , खबरों की सामग्री संग्रह , कवरेज आदि करने की सुविधा शामिल होने की सुविधा मुहैया रहेगी , उसे व सभी पत्रकारों / साहित्यकारों को जनसंपर्क संचालनालय एवं जनसंपर्क कार्यालयों की सभी प्रेस विज्ञप्तियां व अन्य प्रेस सामग्री , संदर्भ साहित्य व पत्रकारों व साहित्यकारों को दी जाने वाली प्रत्येक सामग्री / साहित्य/ विषयवस्तु या अन्य कोई भी सुविधा व उपहार या अन्य कोई भी चीज वहीं पर ही एक ही जगह प्रेस क्लब के माध्यम से उपलब्ध हो सकेगी या कराई जायेगी । इसके अतिरिक्त अब कोई भी पत्रकार वार्ता कहीं भी बाहर नहीं होगी, प्रत्येक पत्रकार वार्ता चाहे जो भी हो , सभी को अनिवार्य रूप से प्रेस क्लब में ही लेना होगी और अब राजधानी भोपाल सहित किसी भी संभागीय या जिला स्तरीय पत्रकार वार्ता का कोई भी आयोजन प्रेस क्लब से बाहर नहीं करा जायेगा , इसके साथ ही अब कोई भी पत्रकार किसी भी हस्ती या गैर हस्ती या सरकारी या गैर सरकारी विभाग की पत्रकार वार्ता लेने के लिये अब उसके बताये या पुकारे गये स्थान पर पत्रकार वार्ता लेने नहीं जायेगा , उसे अब केवल प्रेस क्लब में ही पत्रकार वार्ता देने या लेने की अनुमति होगी , चाहे कोई भी राजनेता हो, राजनीतिक दल हो, अभिनेता या आफिसर हो या कर्मचारी हो या कोई भी व्यक्ति जो कि पत्रकार वार्ता लेने या देने का इच्छुक व अभिलाषी हो , उसे प्रेस क्लब मात्र अकेले को सूचना देनी होगी, प्रेस क्लब ही अपने उसे समस्त पूरे प्रेस क्लब को स्वयं ही अवगत करा देगा एवं पत्रकारगण या साहित्यकार गण तदनुसार उस पत्रकार वार्ता को ले सकेंगें या न ले सकेंगें , इसके साथ ही सरकार का जनसंपर्क अधिकारी भी उस पत्रकार वार्ता में सम्मिलित रहेगा , यह भी वहीं प्रेस क्लब यदि चाहेगा तो किसी पत्रकार वार्ता का बहिष्कार करने का निर्णय भी ले सकेगा । इसी के साथ ही प्रेस क्लब में भोजन, चाय नाश्ते व अन्य खाने पीने की सुविधाओं के लिये भोजनालय व कैन्टीन संचालन व प्रबंधन सुविधा उपलब्ध रहेगी जो कि अत्यंत नाम मात्र के शुल्क पर नाश्ता , चाय भोजन व अन्य खाने पीने की सुविधा उपलब्ध करायेगी । कोई भी पत्रकार या साहित्यकार चाहे भले ही अधिमान्यता प्राप्त हो या न हो या चाहे स्वतंत्र पत्रकार या साहित्कार हो, किसी बहुत बड़े मीडिया संसथान का कर्मचारी या अधिकारी हो या बहुत ज्यादा छोटे से किसी भी अखबार या गैर अखबारी पत्रिका का या अन्य मीडिया का कर्मचारी या अधिकारी हो या एकदम पूर्ण स्वतंत्र लेखक या साहित्यकार हो और कोई भी अखबार या मीडिया से न जुड़ा हो , सभी के लिये एक समान सुविधा एवं एक समान व्यवहार व एक समान कार्यप्रणाली समस्त उपलब्धतायें व सहयोग उपलब्ध रहेगा, इसके अतिरिक्त यह भी प्रेस क्लब की नवीन अवधारणा में स्थापित किया गया है कि कोई भी पत्रकार या साहित्यकार को दी जाने वाली चिकित्सा, स्वास्थ्य या दुर्घटना बीमा या अन्य श्रद्धा निधि या अन्य प्रकार की कोई भी वित्तीय या आर्थिक सुविधा , आवास या पत्रकार कालोनी या आवासीय भूखंड आदि की सुविधा भी प्रेस क्लब के माध्यम से प्रदत्त की जायेगी, पत्रकारों व साहित्यकारों आदि सहित स्वतंत्र पत्रकारों व साहित्यकारों आदि को भी अधिमान्या देने, या न देने या अधिमान्यता न देने या अधिमान्यता वापस लेने आदि संबंधी समस्त कार्य व निर्णय भी प्रेस क्लबों द्वारा ही संपादित करे जायेंगें एवं तदनुसार आवश्यक कार्यवाहीयां , पत्रकारों व साहित्यकारों की समस्या व परेशानीयां चाहे वह निजी हों या पारिवारिक या सामाजिक या राजनीतिक या अन्यान्य प्रकार की का निराकरण व कार्यवाहीयां भी प्रेस क्लबों द्वारा की जायेंगीं, गरीब पत्रकारों व साहित्यकारों या आर्थिक रूप से कमजोर या विपन्न पत्रकारों व साहित्यकारों को बेटियों व बेटों के विवाह शादी या जन्मोत्सव या अन्य कार्यक्रमादि संपन्न करने के लिये भी प्रेस क्लब सहायता व सहयोग के साथ ही उन्हें भवन एवं भूमि , परिसर आदि उपलब्ध करायेंगें जिससे किसी भी पत्रकार व साहित्यकार की समाजिक प्रतिष्ठा , गरिमा , मान मर्यादा सर्वदा सुरक्षित व अक्षुण्ण बनी रहे , प्रेस क्लब पत्रकारों व साहित्यकारों के लिये कल्याण व सेवा के माध्यम के रूप में विकसित किये जाकर एक मंच व एक सहभागिता के साथ वसुधैव कुटुम्बकम की भावना एवं थीम से ओतप्रोत रहेंगें - नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द'' , अध्यक्ष , चम्बल संभाग एवं मुरैना जिला , गणेश शंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब म.प्र. , सी. ई. ओ. एवं प्रधान संपादक , ग्वालियर टाइम्स समूह एवं '' चम्बल की आवाज''
बुधवार, अप्रैल 15, 2015
शनीश्चरी अमावस्या 18 अप्रेल को बहुत ही थोड़े समय के लिये वह भी शाम के बाद और रात के वक्त रहेगी, शनि मंदिर में दर्शन संभव किन्तु अन्य कारणों से अमावस्या बिद्धा तिथि रहेगी और उदयकालीन तिथि नहीं रहेगी अबकी बार 18 अप्रेल को शनीश्चरी अमावस्या
शनीश्चरी
अमावस्या 18 अप्रेल को बहुत ही थोड़े समय के लिये वह भी शाम के बाद और रात के वक्त
रहेगी, शनि मंदिर में दर्शन संभव किन्तु अन्य कारणों से
अमावस्या
बिद्धा तिथि रहेगी और उदयकालीन तिथि नहीं रहेगी अबकी बार 18 अप्रेल को शनीश्चरी
अमावस्या
नरेन्द्र सिंह तोमर
‘’आनंद’’
Gwalior Times
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शनिवार
के दिन
पड़ने वाली अमावस्या की तिथि को शनीश्चरी अमावस्या कहा जाता है और शनीश्चरी
अमावस्या को शनिदेव का दर्शन पूजन दान , मान मनौती आदि करना बहुत शुभ
माना जाता है । भारतवर्ष और विदेशों में लोग सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या जिसे ‘’सोमवती अमावस्या’’ कहा जाता है में तीर्थ जल स्नान व
गंगा स्नान को बहुत पुण्यप्रद व धर्म अर्थ मोक्षादि प्राप्ति हेतु सर्वोत्तम माना
जाता है , वहीं शनीवार को पड़ने वाली शनीश्चरी अमावस्या को
शनि पूजा, दान, दर्शन, मान मनौती आदि करने के लिये सर्वोत्म माना जाता है ।
इसी प्रकार मंगलवार
को पड़ने वाली ‘’भौमवती अमावस्या’’ या शुक्रवती अमावस्या या रविती
अमावस्या जो कि रविवार को रहती है , इन सबके अलग अलग अर्थ,
फल , धर्म , पुण्य विधान
मान्य व प्रचलित है ।
किन्तु सबमें कई
चीजें महत्वपूर्ण हो जातीं हैं, मसलन ग्रह स्थिति गणना,
नक्षत्र स्थितियां , तिथि की स्थिति,
वार आदि की स्थिति , कुल मिलाकर ज्योतिषीय
गणना , तंत्रिक गणनायें इत्यादि , अन्यथा सब
व्यर्थ हो जाता है ।
फिलवक्त आने वाली 18
अप्रेल को पड़ने जा रही शनीश्चरी अमावस्या का जिक्र ही इस आलेख की विषवस्तु है ।
ज्योतिषीय व तांत्रिकीय स्थिति के अनुसार शनिवार 18 अप्रेल को यह उदयकालीन तिथि
के रूप में अमावस्या के रूप में नहीं पड़ रही है बल्कि बिद्वा तिथि हो जाने और
चतुर्दशी तिथि का क्षय हो जाने के कारण और त्रयोदशी तिथि का कालक्रम बढ़ जाने के
कारण इस अमावस्या तिथि का 18 अप्रेल की उदयकाल रात्रि में चला गया है । और
रात्रिकाल में यह तिथि में 12 बजकर 26 मिनिट पर उदय होगी , जबकि
मुरैना के हिसाब ( शनीश्चरा मंदिर चूकि मुरैना में शनि पर्वत पर स्थापित है ,
इसलिये मुरैना की तिथि काल गणना मान्य की जायेगी , यह तिथि उदयकाल मुरैना में रात्रि 12 बजकर 06 मिनिट पर होगा । जबकि चंद्र राशि परिवर्तन प्रवेश काल सायं 5
बजकर 21 मिनिट पर और मुरैना के हिसाब से सायं 5 बजकर 01 मिनिट पर होगा ।
सूर्य और चन्द्र
एकस्थ राशी होकर एक ही अंश पर होने से अमावस्या तिथि का निर्माण व प्रचलन होता है
। इसके ठीक उलट विपरीतस्थ आमुख सामुख समान अंश होने पर पूर्णिमा तिथि बनती है ।
इस समय चूंकि 14
अप्रेल को सूर्य का राशि संक्रमण (संक्रान्ति)
हुआ है और राशि परिवर्तन कर मेषस्थ हुये हैं , जबकि
चन्द्रमा का राशि संक्रमण ( चान्द्र संक्रान्ति ) कर राशि परिवर्तन कर 18
अप्रेल को सायंकाल में ऊपर लिखे सायंकाल समय में होगा । इसलिये चान्द्र संक्रमण
काल के हिसाब से सायंकाल में 5 बजे के बाद ( मुरैना शनि पर्वत – शनिधाम के लिये)
अन्य स्थान पर अन्य समयकाल लागू होंगें , के पश्चात ही शनि
प्रावधान लागू किये जा सकते हैं, जो कि बहुत ही हल्के प्रभाव
के होंगें क्योंकि शनि व सूर्य दोनों ही अर्थात अमावस्या तिथि इस वक्त सूर्य 3
अंश 34 कला पर होंगें और चन्द्रमा शून्य कला पर होंगें । परिणाम स्वरूप यह तिथि
काल हालांकि लगभग प्रभावहीन एवं महत्वहीन होगा जो कि रात्रि में 12 बजे के बाद
सूर्य चन्द्र के समान अंश व कला पर आने के बाद और चन्द्र कलायें विकलायें बढ़ने के
बाद ही असल तिथि अभ्युदय अमावस्या का उदयकाल गण्यमान्य होगा ।
चूंकि शनि इस समय
वक्री चल रहे हैं और वृश्चिक राशीस्थ होकर 18 अप्रेल को करीब 9 अंश 54 कला पर हैं , लिहाजा
प्रचण्ड व प्रबल न होकर भी फिलवक्त होशमंद हैं , जो कि कुछ
समय बाद स्वयं ही प्रभावहीन होना प्रारंभ हो जायेंगें ।
उधर चूंकि सूर्य मेष राशीस्थ होकर इस
समय उच्च राशीस्थ होकर उच्च के सूर्य के रूप में विद्यमान हैं और 23 या 24 अप्रेल
से अपने उच्च असर में आ जायेंगें और मई के पहले हफ्ते तक उच्च के प्रबल व प्रचंड
प्रभाव में रहेंगें ,
वहीं इसी दरम्यान ठीक अगले हफ्ते 24 व 25 अप्रेल को चन्द्रमा भी
राशि संक्रमण कर वृषस्थ होकर उच्च राशीस्थ हो , चन्द्रमा भी
उच्च का हो जायेगा । स्पष्टत: ग्रह स्पष्ट गणना के अनुसार 24 एवं 25 अप्रेल को
सूर्य व चन्द्रमा अपनी उच्च स्थिति व उच्च राशि में होर उच्च के रहेंगें ,
वहीं तब जबकि इस समय गुरू मार्गी हो चुके हैं और अपनी उच्च राशि
कर्क में विद्यमान होकर उच्च के गुरू अति प्रचण्ड व बलवान होकर मौजूद हैं । कुल
मिलाकर 24 एवं 25 अप्रेल को तीन ग्रह एक साथ , जो कि अति
महत्वपूर्ण व ज्योतिष के अनुसार बेहद ज्यादा करामती है और अकेला चन्द्रमा जो 108
राजयोगों का निर्माण कर देता है, अकेला सूर्य अनेक राजयोंगों
का निर्माण कर देता है, अकेला गुरू कई सारे राजयोगों का
निर्माण कर देता है , जब ये तानों ग्रह एक साथ उच्च के
होंगें तो निसंदेह अनेकानेक ( सैकडों या हजारों राजयोगों के निर्माण कर देने में
सक्षम होंगें) राजयोग स्वत: ही बना देंगें भले ही शनि बलवान व वक्री होकर इस समय
कही भी किसी भी हालत में हो , ये तीन अकेले सब पर बहुत भारी
पड़ेंगें ।
अब निष्कर्ष यह
प्राप्त होता है कि चूंकि शनिदेव , सूर्य के पुत्र हैं और शनि
भले ही सूर्य से शत्रुता मान कर वैर रखते हों लेकिन सूर्य के वे बहुत लाड़ले व
प्रिय हैं । लिहाजा जन्म कुंडली में जिना शनि गोचर ठीक चल रहा हो वे शनिवार 18
अप्रेल को सूर्य के उच्च रहते दिन भर में कभी सूर्यास्त पूर्व शनि मंदिर में शनि
संबंधी समस्त कार्य भले ही कुशलता पूर्वक संपादित कर सकते हैं , अन्य के लिये व्यर्थ या प्रभावहीन व फलहीन होंगें ।
जबकि चन्द्र राशि
संक्रमण काल या सायंकाल के बाद अन्य व्यक्ति भी शनि संबंधी शनीश्चरी अमावस्या की
पूजन दर्शन व अन्य क्रियाविधि संपन्न कर सकते हैं , किन्तु
असल अमावस्या रात्रिकाल में ही रहेगी और शनि मंदिर में शनीश्चरी अमावस्या संबंधी पूजन
, दानादि सहित समस्त कार्यादि संपन्न किये जाने का विधान काल
होगा । यद्यपि यह दीगर बात होगी कि 18 अप्रेल रात्रिकाल में भी सूर्य व चंद्र बहुत
कम अंश पर विलय कर विलीन होंगें अत: यह अमावस्या
काफी हल्की या बहुत ही कम या अल्प लाक्षणिक प्रभाव वाली होगी ।
बड़े अजब दस्तूरो रिवाज हैं दुनियां के .....
बड़े अजीब दुनियां के दस्तूरो रिवाज हैं, जो समझ कभी नहीं आते ।
कुछ यहॉं हार के भी जीत जाते हैं, कुछ तो जीत के भी हार जाते हैं ।
अंतिम दम तक जंग में सिर न झुके , महाराणा प्रताप कहलाते हैं ।
सिर झुका जिनका भी यहॉं वे सदा दास चमचे चाटुकार कहलाते हैं ।
या वे शूरवीर परम पराक्रमी धर्मयुद्ध में विजय श्री ले अर्जुन होते हैं ।
नहीं मिलेंगें बुत तलक अकबर के, महाराणा हर चौराहे पे दिखते हैं ।
- नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द''
अध्यक्ष - चम्बल संभाग , गणेश शंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब , म.प्र.
कुछ यहॉं हार के भी जीत जाते हैं, कुछ तो जीत के भी हार जाते हैं ।
अंतिम दम तक जंग में सिर न झुके , महाराणा प्रताप कहलाते हैं ।
सिर झुका जिनका भी यहॉं वे सदा दास चमचे चाटुकार कहलाते हैं ।
या वे शूरवीर परम पराक्रमी धर्मयुद्ध में विजय श्री ले अर्जुन होते हैं ।
नहीं मिलेंगें बुत तलक अकबर के, महाराणा हर चौराहे पे दिखते हैं ।
- नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द''
अध्यक्ष - चम्बल संभाग , गणेश शंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब , म.प्र.
सोमवार, अप्रैल 13, 2015
भिण्ड पहुँचे शिवराज सिंह ने कहा म.प्र. में किसान राहत कोष व खुद की सरकारी बीमा कंपनी बनाये जायेगें अगर किसान का नुकसान कम लिखा तो नौकरी करने लायक नहीं छोड़ूंगा - शिवराज सिंह
भिण्ड
पहुँचे शिवराज सिंह ने कहा म.प्र. में किसान राहत कोष व खुद की सरकारी बीमा कंपनी
बनाये जायेगें
अगर किसान
का नुकसान कम लिखा तो नौकरी करने लायक नहीं छोड़ूंगा - शिवराज सिंह
आप पार्टी
के प्रदेश संयोजक उतरे जल सत्याग्रह में , आम आदमी पार्टी चलाएगी "जल सत्याग्रह" के समर्थन में पूरे
प्रदेश में आंदोलन
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भिंड- 13
अप्रेल 15
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह आज भिण्ड जिले की गोहद तहसील के सुहांस गांव पहुंचे, खुद खेतों
में जाकर देखा फसल का नुकसान, इस अवसर पर शिवराज सिंह बोले कि
हर दुःख की घडी मे मध्यप्रदेश सरकार किसान के साथ है ।
इस
अवसर पर बर्बाद हुये किसानों और फसलों को देखकर म.प्र. के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह
चौहान ने कहा कि यदि किसभी कर्मचारी या अफसर ने किसी भी किसान का या खेत का नुकसान
कम लिखा तो उसे मैं नौकरी करने लायक नहीं छोडूंगा । चाहे वह कलेक्टर हो या अन्य कोई
भी कर्मचारी या अन्य अधिकारीयों को, किसान को अब ओवर ड्यू नहीं
माना जायेगा और उसे खाद बीज 0 प्रतिशत व्याज पर मिलेगा ।
हमारी मध्यप्रदेश सरकार सभी मृत किसानो
की बेटियों को देंगी पचास पचास हजार रूपये , इसके साथ ही शिवराज सिंह ने घोषणा
करते हुये कहा कि मध्यप्रदेश में हम बहुत जल्द ही किसान राहत कोष बनाएंगे, और ऐसी प्राकृतिक आपदाओं से निबटने के सारे इंतजाम रखेंगें इसके साथ ही सरकार
की खुद की बीमा कंपनी बनाने का इरादा है और बहुत जल्द हम इस दिशा में कदम उठा कर सरकारी
बीमा कंपनी बनाने की ओर अग्रसर होंगें ।
आप के प्रदेश
संयोजक उतरे "जल सत्याग्रह" में, आम आदमी पार्टी चलाएगी "जल
सत्याग्रह" के समर्थन में पूरे प्रदेश में आंदोलन
भोपाल 13 अप्रेल 15. आम आदमी पार्टी के प्रदेश मीडिया एवं आई.टी.
सेल के मार्फत जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार विगत 11 अप्रैल को ओंकारेश्वर बाँध
में 189 मीटर से ऊपर पानी भरना चालू कर दिया गया है । जिसके विरोध में सैकड़ों
विस्थापितों ने तुरंत गोघलगॉव जिला खंडवा में जल सत्याग्रह शुरू कर दिया था । अभी
तक इस बांध में 191 मीटर तक भर दिया गया है और इससे अनेक किसानो के खेत बिना
पुनर्वास के डुबो दिए गए हैं ।
इस
अमानवीय डूब के खिलाफ 11 अप्रैल से प्रभावित विस्थापितों एवं पीडि़तों द्वारा जारी
जल सत्याग्रह में,
आज आम आदमी पार्टी के प्रदेश संयोजक आलोक अग्रवाल विस्थापितों के साथ
में पानी में उतर कर जल सत्याग्रह में शामिल हो गए हैं । आम आदमी पार्टी 15-अप्रैल
को प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में इसके खिलाफ प्रदर्शन करेगी । अग्रवाल ने साफ़
कहा है कि जब तक विस्थापितों के पुनर्वास की मांगे पूरी नहीं की जाती हैं तब तक
पानी में रह कर जल सत्याग्रह जारी रहेगा चाहे भले ही शरीर गल कर खत्म ही क्यों ना
हो जाए ।
तो अब क्या यह मान लिया जाये कि अगला बड़ा और दमदार मुकाबला ‘’आप’’ और ‘भाजपा’’ के बीच होगा
तो अब क्या यह मान लिया
जाये कि अगला बड़ा और दमदार मुकाबला ‘’आप’’
और ‘भाजपा’’ के बीच होगा
‘’ आप ‘’ के विरोध प्रदर्शन की भोपाल रैली में उमड़ा जन
सैलाब और जिलों में चल रही आप की सक्रिय गतिविधियों से भाजपा की पेशानी पर चिंता
की लकीरें खिंचीं
* कांग्रेस से खतरा
मुक्त हुई भाजपा के लिये ‘’आप’’ ने
बजाया खतरे का अलार्म * भाजपा में ‘’आप’’ के बढ़ते सैलाबी तूफान को लेकर अंदरूनी हाई अलर्ट * भाजपा ने तैयार की रणनीति खेल सकती है राजनीति का तिकड़मी पेच
नरेन्द्र सिंह तोमर
‘’आनंद’’ ( एडवोकेट )
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मध्यप्रदेश में कांग्रेस
को मरणासन्न सन्नाटे में धकेलकर तकरीबन जमींदोज व नेस्तनाबूद कर चुकी बेफिक्री व
निशंक तेवरों में जी रही लेकिन केन्द्र सरकार से परेशान और आंतरिक झंझावात और भंवर
में उलझी म.प्र. की भारतीय जनता पार्टी के लिये एक चुनौती के रूप में लगातार आगे
बढ़ रही ‘’आम आदमी पार्टी’’ की निरंतर सक्रियता ने और उसमें
लगातार बढ़ते जा रहे जन सैलाब ने म.प्र. भाजपा की पेशानी पर चिंता की लकीरें खींच
कर , आने वाले वक्त में बड़े मुकाबले और खतरे का अलार्म बजा
कर आगे होने वाली कबड्डी की ताल ठोक दी है ।
राजनीतिक तौर पर इसका दूसरा संदेश यह
जाता है कि म.प्र. की भाजपा सरकार के विरूद्ध आम आदमी पार्टी और कांग्रेस लगभग एक
ही जैसे मुद्दों या एक जैसे सियासी शतरंजी दांव पेंच खेलने जा रहे हैं । और जाहिर
है कि इसका सीध सीधा जमीनी नुकसान भाजपा को कम और कांग्रेस को ज्यादा होगा ।
वर्तमान हालात देखकर लगता है कि यह बहुत ज्यादा संभव है , आने
वाली म.प्र. विधानसभा में कांग्रेस की जगह ‘’आप’’ ले ले , हालांकि आम आदमी पार्टी यह दावा कर रही है
कि वह म.प्र. विधानसभा में 150 से ज्यादा सीटें हासिल करेगी ।
लेकिन अगर जमीनी हकीकत को टटोला जाये
तो आज की तारीख में इस वक्त आम आदमी पार्टी 150 विधानसभा सीटों पर तो नहीं लेकिन
करीब 50 से 80 तक विधानसभा सीटों पर और करीब 6 से 8 लोकसभा सीटों पर बेहद मजबूत
स्थिति में नजर आ रही है ।
दोनों
पार्टीयों में अंदरूनी नूराकुश्ती और रणनीतिक खेमेबाजी शुरू
अगर भाजपा और आम आदमी पार्टी के
अंदरूनी हालातों की बात करें या अंदरखाने जो चल रहा है उस गोपनीय रणनीति की बात
करें तो स्थिति कही अधिक साफ हो जायेगी ।
भाजपा ने भी बदली रणनीति
सुनने में आ रहा है कि भाजपा ने अपना
हाल ही में 15 तारीख तक किया जाने वाला म.प्र. सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार फिलहाल
टाल दिया है । और यह विस्तार बहुत जल्द या जैसा भाजपा के सूत्र बताते हैं , इसी
महीने के अंत तक या मई की 10 या 15 तारीख से पहले हो लेगा , लेकिन
उससे पहले अब बदली गई रणनीति के मुताबिक पहले निगमों और मंडलों में नियुक्तियां
की जायेंगीं , उसके बाद मंत्री मंडल का विस्तार किया जायेगा
। और भरोसेमंद सूत्र यह भी बताते हैं कि आने वाले वक्त में होने वाले खतरे के सारे
स्थान ( सीटें) चिह्नित कर पहचान ली गईं हैं, और तदनुसार ही
अब राजनीतिक व रणनीतिक दांव पेंच व भूमिकायें भाजपा अपनायेगी । और उन सीटों को
कव्हरअप करेगी जहॉं या तो भाजपा जीती नहीं थी या आगे कोई और दमदारी से उस सीट पर
फाइट कर सकता है या जीत सकता है ।
आने वाले
तूफान व सैलाब के प्रति भाजपा व आर.एस.एस. सतर्क
बसपा अगले चुनाव में म.प्र. से समाप्त
हो जायेगी वहीं कांग्रेस बमुश्किल 8 या 10 सीटों पर सिमट जायेगी, जबकि
‘’आप’’ पार्टी के सशक्त विपक्ष या ‘’विकल्प’’ बन कर सन 2018 के म.प्र. विधानसभा चुनावों
में सामने आ सकती है या फिर बहुत जबरदस्त कड़ी फाइट देकर खतरनाक चुनौती बन सकती है,
भाजपा खेमे के अंदर चल रही मथनी से उनके व आर.एस.एस. के राजनीतिक
पंडितों ने पूर्व आगाह कर दिया है । और आम आदमी पार्टी की भोपाल रैली में उमड़े जन
सैलाब ने और कई जिलों चल रही निरंतर राजनीतिक सक्रियता के प्रति सचेत कर, आने वाले तूफान के प्रति आगाह कर दिया है ।
आम आदमी
पार्टी की भी रणनीति में खासे फेाबदल के संकेत
इधर आम आदमी पार्टी में भी कोई कम
रणनीति और राजनीतिक मंथन नहीं चल रहा, वह भी प्रदेश में जान डालने
के लिये प्रदेश की कमान व जिलों की कमान बहुत बड़े फेरबदल के साथ बदल कर अनुभवी
दबंग व दमदार लोगों को फ्रण्ट पर लाने की तैयारी में जुटी है , आने वाले वक्त आम आदमी पार्टी की इस खास राजनीति व रणनीति का खुलासा हो
सकता है । हालांकि वर्तमान प्रदेश व जिला नेतृत्वों से पार्टी के हाईकमान को कोई
शिकायत शिकवा नहीं है, लेकिन खुद आम आदमी पार्टी का ही
प्रदेश नेतृत्व और जिलों का नेतृत्व ऐसी दरकार व मांग कर रहा है , यह भी सोचने की बात है जहॉं सब एक कार्यकर्ता बने रहना चाहते हैं और आम
आदमी बन कर ही पदों पर या बिना पदों के पार्टी के लिये काम करना चाहते हैं और खुद
ही यह मांग करते हैं कि सक्रिय व दबंग व डटे जमे अड़े रहकर सोशल व पॉलिटिकल
एक्सपर्ट चाहिये , कमान और नेतृत्व उनको देकर उनके साथ काम
करना है । जाहिर है इस प्रकार की नीति व रणनीति भाजपा और आर.एस.एस. के लिये
निसंदेह बहुत ज्यादा चिंता का विषय है , क्योंकि अब तक केवल
भाजपा को ही म.प्र. में ग्रास रूट लेवल की पार्टी माना जाता है । लेकिन आप
कार्यकर्ताओं की निरंतर बढ़ती फौज व किसी दमदार नेतृत्व को प्रदेश व जिलों में
सामने लाया जाना बेहद खतरनाक अलार्म है । फिलवक्त आप पार्टी हाई कमान की नजर में
कुछ लोग ऐसे हैं या इस प्रकार का अंदरूनी चयन कार्य चल रहा है । और भाजपा की
रणनीति के हर कदम पर आप की नजर है , वहीं आप की रणनीति के हर
कदम पर भाजपा की नजर है । कुल मिलाकर दोनों का पोसंपा भाई पोसंपा चल रहा है ।
खतरनाक राजनीतिक चूक से बच रहे हैं
दोनों राजनीतिक दलों की राजनीति और रणनीति पर ध्यान दें तो साफिया तौर पर जाहिर हो
जायेगा कि ये दोनों ही दल ‘’कांग्रेस’’ को और कांग्रेस नेताओं को ल तो लक्षित
या टारगेट कर रहे हैं और न उसका कहीं जिक्र तक कर रहे हैं । मतलब साफ है कि इनकी
रणनीति में कांग्रेस आउट ऑफ फोकस और जमीनी चर्चा से बाहर का विषय है । सनद रहे कि यह दोनों दल इस गेम को दिल्ली
विधानसभा चुनावों में खेल चुके हैं और कांग्रेस का सफाया कर चुके हैं , वही रणनीति म.प्र. में अपनाई जा रही है । ‘’नजर
अंदाजी की भी एक जुबां और एक भाषा होती है ‘’
भाजपा
और आर.एस.एस. भी तुरूप के इक्के मैदान में ला सकती है या कहिये कि अब
पूरी तरह से तैयारी में है कि अपनी जंगी राजनीतिक बिसात अब बिछा दे, और
इसका पता आने वाले समय में होने वाली निगम व मंडल की नियुक्तियों सहित होने वाले
मंत्रीमंडल विस्तार में झलकना चाहिये , यदि यह नहीं झलकता है
तो यह मानना चाहिये कि भाजपा यह मान चुकी है कि अब म.प्र. में सरकार बदलेगी और
इसके साथ ही आप पार्टी के बदलावों और रणनीति से भी यह खुलासा आने वाले वक्त में हो
जायेगा कि वह म.प्र. विधानसभा में विपक्ष में बैठने जा रही है या सरकार व सत्ता
में । कुल मिलाकर इतना तो साफ है कि अगला तगड़ा व जंगी मुकाबला ‘’आप’’ और भाजपा के बीच ही म.प्र. में होना है । और उस
‘’विकल्प रिक्ति’’ या ‘’ सब्स्टीट्यूट गैप’’ की पूर्ति हो जायेगी ।
यदि
दोनों ही दल इस रणनीति पर अमल करते नजर आते हैं तो यह भी बहुत ज्यादा संभव है कि
आने वाले कुछ स्थानीय निकायों के चुनावों में भी ये दोनों पार्टीयां ही आमने सामने
टकरा जायें और तब बसपा और कांग्रेस के लिये यह स्पष्ट अलार्म और ताबूत की अंतिम कील
ठोके जाने का स्पष्ट आगाज होगा । हालांकि अभी मुरैना में भी नगर निकाय चुनाव होना है
, लेकिन नगरीय निकाय चुनावों तक यदि ये दोनों दल सुनिश्चित रणनीति के तहत अमल
नहीं करते तो सारी रणनीति को दूरगामी परिणामों अर्थात म.प्र. विधानसभा चुनाव 2018 और
लोकसभा चुनाव 2019 के नजरिये से देखा जाना चाहिये । ज्ञातव्य है कि म.प्र. की भाजपा
सरकार के लिये केन्द्र की मोदी सरकार भी अंदरूनी तौर पर बहुत बड़ी मुसीबत बनकर खड़ी
हुई है और तथाकथित आर्थिक सुधारों के नाम पर भाजपा की राज्य सरकार का बेड़ा गर्क
करने पर तुली है , वहीं जनता का परिवर्तन का मूड भांपते हुये
आम आदमी पार्टी अपने अलग कसीदे पढ़ना शुरू कर चुकी है ।
अरविन्द
केजरीवाल की निजी रूचि ने बढ़ाया आने वाले आगाजी तूफान का खतरा
म.प्र. में आम आदमी पार्टी की भोपाल में
विगत दिवस हुई विरोध प्रदर्शन रैली को और उसमें हुई भीड़ के चित्रों को दिल्ली के मुख्यमंत्री
अरविन्द केजरीवाल द्वारा रिट्वीट किये जाने व म.प्र. के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
के नाम संदेश व उपदेश का ट्वीट किये जाने से सारा मामला राजनीतिक गर्मी पकड़ गया है, साथ यह
भी स्पष्ट हो गया है कि म.प्र. की पल पल की गतिविधि पर आम आदमी पार्टी का शीर्ष नेतृत्व
न केवल बहुत गहरी नजर रख रहा है बल्कि , आप के बढ़ते जन सैलाब
व पार्टी कार्यकर्ताओं की सक्रियता से बेहद गंभीर व उत्साहित भी है । निसंदेह केजरीवाल
की म.प्र. में निजी व गहरी रूचि कयामती व कहर ढा कर मंजर बदलने वाली मानी जा सकती है
।
सुप्रीम
कोर्ट का बड़ा फैसला, बिना शादी के साथ रहने वालों जोड़े विवाहित माने जायेंगे
नई दिल्ली :: बिना शादी के साथ
रहने वालों जोड़े विवाहित माने जायेंगे: सुप्रीम कोर्ट
सोमवार को देश की सर्वोच्च अदालत ने एक
बड़ा फैसला सुनाया है। आज उसने कहा कि यदि कोई अविवाहित जोड़ा मियां-बीवी के रूप
में अगर साथ रह रहा है तो उन्हें कानूनी रूप से शादीशुदा माना जाएगा और और उसे वो
सारे अधिकार मिलेंगे जो कि विवाहित कपल को मिलते हैं यहां तक कि अपने साथी की मौत
के बाद महिला उसकी संपत्ति की हकदार होगी। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने यह
फैसला एक संपत्ति के मामले में सुनाया है। यह फैसला जस्टिस एमवाय इकबाल और जस्टिस
अमिताव रॉय की बैंच ने लिया है। बैंच ने कहा कि लेकिन दोनों को इस सूरत में यह
साबित करना होगा कि यह फैसला उन्होंने शादी करने के लिहाज से ही लिया है।
साथ
रहने वाले जोड़े माने जायेंगे शादी-शुदा
जिस केस के तहत कोर्ट ने यह फैसला किया
है वो एक संपत्ति विवाद का मामला था जिसमें परिवार का कहना था कि उनके दादा अपनी
पत्नी की मौत के बाद एक महिला के साथ 20 साल से रह रहे थे इसलिए उनकी संपति में
उसका हिस्सा नहीं दिया जा सकता। परिवार वालों का कहना है कि वह महिला उनके दादा की
मिस्ट्रेस थी। जिस पर पीड़ित महिला ने कानून से मदद मांगी और संपति में हिस्सा भी।
कपल को
मिलेंगे सारे पति-पत्नी के हक
जिस पर आज कोर्ट ने सुनवाई की और
पीड़ित महिला को मृतक की कानून पत्नी मान लिया और फैसला सुनाते हुए कहा कि यदि एक
मर्द और औरत लंबे समय से साथ रह रहे हैं तो समाज उसे भले ही जो उपमा देता हो लेकिन
अगर दोनों के साथ रहने का फैसला शादी के मद्देनजर है तो ऐसे में दोनों विवाहित माने
जायेंगे ।
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