रविवार, नवंबर 08, 2009

जाने क्‍यूं लोग मोहब्‍बत किया करते हैं .....दिल के �

माना कि पतंगा जलता है शमां में, न आरजू, न कुसूर न तमन्‍न उसकी ।
शमां ही बुलाती है उसे खुद ब खुद कांप कर , समेट कर दामन में छोड़ती है राख कर ।।

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