मंगलवार, दिसंबर 15, 2009

---परिवर्तन---- राजेश चिंतक मुरैना

---परिवर्तन---

बहुऐं बेटी बन गयीं, बेटा बने दमाद।

करना धरना कुछ नहीं, फैलाते उन्माद॥1

फै लाते उन्माद, दिखाते नखरे दिनों रात।

मॉ बाप और बडे बुर्जगों की ना सुनते बात॥2

                            राजेश चिंतक मुरैना

 

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