गुरुवार, जुलाई 30, 2009

मानव अधिकार शिक्षा स्तरीय सलाहकार समिति की बैठक सम्पन्न

मानव अधिकार शिक्षा स्तरीय सलाहकार समिति की बैठक सम्पन्न

भिण्ड 29 जुलाई 2009

       मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के अन्तर्गत हत्या, बलात्कार जैसे, जघन्य अपराधों के पीड़ित पक्षकारों के मानवीय अधिकारी को संरक्षित करने हेतु मुख्य सचिव मध्यप्रदेश शासन श्री राकेश साहनी के निर्देश पर जिला स्तरीय सलाहकार समिति की प्रथम बैठक कलेक्टर श्री के.सी.जैन की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक में डिप्टी कलेक्टर श्री अनिल चांदिल, सीएसपी श्री धर्मेन्द्र छावई, अशासकीय सदस्य श्री योगेन्द्र सिंह कुशवाह श्री मनोज अनंत, व डा एच.डी.गुप्ता उपस्थित थे।

       कलेक्टर श्री जैन ने कहा कि मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के अन्तर्गत अपराधों से पीडित व्यक्ति के मानव अधिकारों के सरंक्षण हेतु मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग जिला सलाहकार समिति का गठन किया गया है। इस समिति का दायित्व है कि वह हत्या, बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों से पीड़ित व्यक्तियों के मानव अधिकारों को संरक्षित करें इसलिए शासन प्रशासन और जन सहयोग के माध्यम से उनकी मदद करें। कलेक्टर श्री जैन ने समिति के अशासकीय सदस्य एडवोकेट योगेन्द्र सिंह कुशवाह को भिण्ड शहर में गत 6 में हुये हत्या व बलात्कार के पीड़ित परिवारों से सीएसपी के साथ मुलाकात करने तथा एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने की सलाह दी। इस रिपोर्ट के आधार पर सलाहकार समिति पीड़ितों को मदद मुहैया करायेगी।

       कलेक्टर श्री जैन ने कहा कि राज्य और समाज का यह दायित्व है कि वह अपराध के पीडितों का साथ दे व उनके मानव अधिकारों की रक्षा करें। पीडित का यह अधिकार है कि उसे जांच से संबंधी सभी तथ्यों व अपराधी के अभियोजन संबंधी पूरी जानकारी हो। पीडित को यह जानने का अधिकार है कि आरोपी, जो कि उसके साथ हुये अपराध का दोषी है को जमानत पर रिहा किया गया है अथवा गिरफ्तारी से मुक्त रखा गया है, पीडित न्यायालय में उस प्रकरण की सुनवाई जिसका वह पीडित है वह भाग लेने का हकदार है। पीडित को यह मौका दिया जाना चाहिए कि वह उस अभियोजक, जिसे शासन ने अपराध के अभियोजन हेतु न्यायालय में नियुक्त किया है से सम्पर्क व सलाह मशवरा कर सकते है। पीडित को उसकी चोट या सम्पत्ति के अनुसार प्रतिकर राशि कानून के अन्तर्गत प्राप्त करने का अधिकार है। पीडित को सभी शासकीय संस्थाओं से शिष्ट व्यवहार व मदद मिलनी चाहिए जैसे जांच के दौरान व अपराधी के अभियोजन के दौरान किसी भी तरह पीडित की एकान्तता के अधिकार का हनन शासन के किसी भी अधिकारी द्वारा नही किया जाना चाहिए।

       उन्होंने कहा कि समाज के हर वर्ग से यह अपेक्षा की जाती है कि वह अपराध के पीडित के प्रति ना सिर्फ करूणा का भाव रखें वरन उसके अधिकारों का पूर्ण सम्मान कर उसकी रक्षा में अपना हर संभव योगदान दें। शासन व अशासकीय संस्थाओं का यहर् कत्तव्य होगा कि वह पीडितों को उनके मानव अधिकारों के संबंध में जागरूक करें व उनकी शिकायतों के निराकरण के उपाए बताएं। सभी शासकीय व अशासकीय संस्थाएं अपराध व सत्ता के दुरूपयोग के पीडित को जरूरी चिकित्सकीय व वैद्यानिक सुविधाऐ प्रदान करेगी।

 

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