गुरुवार, जुलाई 23, 2009

वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में सूर्यग्रहण पर वन्यप्राणियों के व्यवहार का आंकलन

वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में सूर्यग्रहण पर वन्यप्राणियों के व्यवहार का आंकलन

Bhopal:Wednesday, July 22, 2009

 

वन विहार राष्ट्रीय उद्यान भोपाल में दिनांक 22 जुलाई, 09 को सदी के सबसे बड़े सूर्यग्रहण के अवसर पर विभिन्न वन्यप्राणियों के व्यवहार में होने वाले परिवर्तन का आंकलन किया गया।

वन विहार राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन ने 360 वर्ष के अंतराल से पड़ने वाले इस पूर्ण सूर्यग्रहण के अवसर पर इसके प्रभाव से विभिन्न वन्यप्राणियों के व्यवहार में परिवर्तन हेतु अध्ययन करने का निर्णय लिया गया। इस हेतु वन विहार के सभी वन्यप्राणियों के व्यवहार आंकलन हेतु 23 स्थल चिन्हित किये गये। इन स्थलों पर इन वन्यप्राणियों के रख रखाव में पूर्व से ही लगे हुये कर्मचारियों को मॉनीटरिंग हेतु नियुक्त किया गया। वन्यप्राणियों के सामान्य व्यवहार का अध्ययन करने के लिये सभी कर्मचारियों को दिनांक 11 जुलाई 09 को प्रशिक्षण दिया गया। मॉनीटरिंग कार्य 15 जुलाई 09 से 21 जुलाई 09 तक प्रात: 5.30 से 7.30 बजे तक किया जाकर सभी वन्यप्राणियों के सामान्य व्यवहार की प्रविष्टि इस हेतु निर्धारित डाटाशीट में की गई। इस अध्ययन का उद्देश्य यह था कि सूर्य ग्रहण अवधि में इन वन्यप्राणियों के सामान्य व्यवहार की जानकारी प्राप्त हो सके, ताकि सूर्यग्रहण के दिन व्यवहार में होने वाले सूक्ष्म से सूक्ष्म से परिवर्तन को भी ज्ञात किया जा सके। दिनांक 22 जुलाई 09 को सूर्य ग्रहण के दिन भी प्रात: 5.30 बजे से 7.30 बजे तक पुन: इन वन्यप्राणियों के व्यवहार का अध्ययन कर इसकी प्रविष्टि डाटाशीट में की गई। सूर्यग्रहण के दिन कुछ वन्यप्राणियों में इनके सामान्य दिनों के व्यवहार की तुलना में अंतर स्पष्ट परिलक्षित हुआ। वन्यप्राणीवार व्यवहार निम्न है

 

 

प्रजाति

 

सामान्य व्यवहार

 

सूर्यग्रहण पर व्यवहार

 

कृष्ण मृग

 

सामान्य रूप से चरते रहते थे।

 

सभी एक साथ खड़े रह गये।

 

चीतल, सांभर,नीलगाय

 

सामान्य रूप से चरते रहते थे।

 

सभी एक साथ खड़े रह गये।

 

शाकाहारी छौने

 

बाड़े में घूमते रहते थे।

 

मरे की ओर भागने लगे।

 

सर्प

 

पानी वाले साँप गुच्छों में एक साथ थे।

 

गुच्छे से अलग-अलग हो गये।

 

कछुआ

 

पानी के ऊपर तैरते रहते थे।

 

पानी के अंदर चले गये।

 

पक्षी

 

सभी चहचहाकर आवाज करते रहते थे।

 

सभी पक्षियों की आवाज बंद हो गई। टिटहरी एवं मोर की ही आवाज आई।

 

तेंदुआ

 

सामान्यत: बाड़े में घूमते रहते थे।

 

अपने कमरे में चले गये।

 

वयोवृध्द सिंहनी रेहाना

 

सामान्यत: 6.15 तक सोकर उठ जाती थी।

 

7.00 बजे तक सोती रही।

 

नर बाघ कान्हा

 

सामान्यत: अगल बगल के बाडों में स्थित दोनों मादा बाघ श्वेता एंव बसनी की जाली के नजदीक जाकर बैठता था

 

बांस के झुरमुट में छुपा बैठा रहा। किसी भी मादा बाघ की ओर आकर्षित नहीं हुआ।

 

मादा बाघ श्वेता

 

सामान्यत: नर बाघ कान्हा की जाली के नजदीक बैठती थी।

 

अपने कमरे के पास रहकर अपने आपको छुपाती रही।

 

मादा बाघ बसनी

 

सामान्यत: नर बाघ कान्हा की जाली के नजदीक बैठती थी।

 

बांस के झुरमुट में रहकर अपने आपको छुपाती रही।

 

सफेद बाघ भगत

 

सामान्यत: बाड़े में घूमते रहता था।

 

घूमना बंद कर दुबक कर कमरे में बैठ गया।

 

मादा सफेद बाघ ललिता

 

सामान्यत: बाड़े में घूमती रहती थी।

 

घूमना बंद कर घास में दुबक कर बैठ गई।

 

 

 

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