शनिवार, मई 08, 2010

पीएसबी एवं फास्फोरक घोल के उपयोग से खेती की लागत में कमी

पीएसबी एवं फास्फोरक घोल के उपयोग से खेती की लागत में कमी

भिण्ड 5 मई 2010

       पीएसबी एवं फास्फोरक घोल के उपयोग से खेती की लागत में कमी संभव है। उप संचालक मनोज कश्यप ने बताया कि पीएसबी एवं जीवाणु है जो मृदा में अप्राप्त अवस्था में पाये जाने वाले फास्फोरस को प्राप्त अवस्था में बदल देता है। जिससे कृषक फसलों में फास्फोरस की मात्रा को कम करके उर्वरक की लागत का कम कर सकते है तथा 15 से 20 प्रतिशत फसल उत्पादन में वृद्वि प्राप्त कर सकते है जिस सुपर फास्फेट का उपयोग किसान भाई करते है। उसका 20 प्रतिशत ही फसले ग्रहण कर पाती है शेष फास्फोरस मिट्टी के अंदर अप्राप्त अवस्था में बदल जाता है अत: पीएसबी के उपयोग से शेष फास्फोरस की घुलनशीलता बढ जाती है और वह पौधों को प्राप्त हो जाता है।

       कृषक भाई बीज उपचार हेतु 5 किग्रा प्रति किलो बीज के मान से बीज के मान से बीज को अच्छी तरह से उपचारित करें एवं छाया में बीजों को सुखाकर तुरंत बुवाई कर दे कंदीय फसलो के बीज उपचार हेतु 100-125 लीटर पानी में 1.50 किग्रा, कल्चर घोलकर लगाये जाने वाले कंदों को 10 मिनट तक इस घोल में डुबोकर कंदो को लगाये यदि कृषक भाईयों को फसल बुवाई पूर्व भूमि का उपचार अंतिम जुताई पश्चात 2 से 2.50 किलो कल्चर, 100-150 किलो गोबर की खाद में अच्छी प्रकार मिलाकर समान रूप से खेत में छिडकाव करे तो अधिक लाभ प्राप्त होगा।

       पीएसबी कल्चर के प्रयोग करने से पौधों के स्वास्थ्य में सुधार, जडे गुच्छे दार एवं मजबूत बनती है जीवाणुओं के माध्यम से हारमोन, विटामिन, एन्जाइम, पौधों को मिलते है जिससे फसल स्वस्थ्य एवं निरोगी रहती है तथा शीघ्र पककर तैयार होती है तथा इसके उपयोग से 15-20 प्रतिशत तक पैदावार में वृद्वि होती है साथ ही पर्यावरण भी शुद्व रहता है।

       कृषक भाई जैव उर्वरकों का प्रयोग करते समय यह ध्यान रखे कि जैव उर्वरक मान्य श्रोत एवं उच्च गुणवत्ता का हो। अंतिम तिथि देखकर ही कल्चर का क्रय करें तथा धूप एवं गर्मी से बचाये तो निश्चित ही कृषको को इसका भरपूर लाभ प्राप्त होगा तथा कृषक भाई 10-15 प्रतिशत लागत में बचत होगी।

 

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